नई दिल्ली: किसान आंदोलन का 53वां दिन है और इस दौरान आंदोलन में शामिल कुछ किसान आत्महत्या कर चुके हैं. ऐसे में और किसान खुदकुशी जैसा कदम न उठाएं इसके लिए किसानों की मेंटल कॉउंसलिंग की व्यवस्था सिंघु बॉर्डर पर की गई है, जिसमे एक मनोवैज्ञानिक द्वारा सुबह से लेकर शाम तक मानसिक तनाव से जूझ रहे किसानों की कॉउंसलिंग की जा रही है.
किसानों में अवसाद की वजह है अलग अलग है
मनोवैज्ञानिक सान्या कटारिया का कहना है कि यहां आने वाले किसानों से बातचीत में पता चला है कि कुछ कर्ज को लेकर परेशान हैं, तो कुछ लंबे समय से घर से दूर होने की वजह से अवसाद में आ गए हैं. कुछ के अंदर गुस्सा है कि इतना लंबा समय हो गया लेकिन सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही है.
सान्या का कहना है कि वह रोज सुबह 10 से शाम 6 बजे तक यहां पर कॉउंसलिंग करने के लिए आती हैं. यहां पर प्रतिदिन 8 से 10 लोग मानसिक तनाव को लेकर परामर्श के लिये आ रहे हैं. यहां आने वाले लोगों से जब बात होती है तो सभी के मानसिक तनाव के कारण अलग अलग हैं. किसी को कर्ज का डर सता रहा है, वह पहले से ही कर्ज लेकर अपना काम चला रहा था, अब लंबे समय से आंदोलन में है, कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. इस वजह से उसकी मनोदशा बिगड़ रही है. किसी के तनाव का कारण घर से दूरी है. इतना लंबा वक्त घर से दूर गुजारने की वजह से कई लोगों में डिप्रेशन आ गया है.
उन्होंने कहा कि कुछ के अंदर अग्रेशन यानी गुस्सा भर गया है, आंदोलन इतना लंबा खिंच गया है और सरकार उनकी बात मानने को तैयार नहीं है. इन सबके अलावा मौसम की वजह से भी मनोदशा पर विपरीत असर हो रहा है. लोग अपना घर छोड़ कर घर से दूर यहां खुले में पड़े हुए हैं. ठंड की वजह से जो परेशानी हो रही है, वह मानसिक तनाव का कारण भी बन रहा है. जिसकी जो समस्या होती है, उसे उसके अनुसार ही परामर्श दिया जाता है.