Home हलचल सियासत दुबई से एक साल पहले आया ट्रक ड्राइवर अमृतपाल कैसे बना खालिस्तानी चेहरा

दुबई से एक साल पहले आया ट्रक ड्राइवर अमृतपाल कैसे बना खालिस्तानी चेहरा

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भिंडरावाले की तरह दिखने और बोलने के बाद अब भिंडरावाले 2.O बनने की हसरत रखने वाला अमृतपाल सिंह आखिर एक साल में ही कैसे भारत का मोस्ट वॉन्टेड बन गया? करीब एक साल पहले दुबई से लौटने के बाद जिस तरह अमृतपाल उभरा है वो किसी चमत्कार से कम नहीं है।

शायद इसीलिए लोग कह रहे हैं कि अलग खालिस्तान की आग को हवा देने के लिए किसी ने उसे पंजाब में प्लॉट किया है। पूरा मामला समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं और इस कहानी के एक अहम किरदार से शुरू करते हैं।

दीप सिद्धू कनेक्शन
26 जनवरी 2021 में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लाल किले पर खालसा का झंडा फहराए जाने की घटना शायद आप भूले नहीं होंगे। इस मामले में पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू का भी नाम आया था। इसके आठ महीने बाद सितंबर में उसने वारिस पंजाब दे नाम से एक संस्था बनाई और पंजाब के मुद्दों पर चर्चा के लिए सोशल मीडिया ऐप क्लब हाउस पर ऑडियो रूम भी बनाया। अमृतपाल दुबई से ही इस मंच से श्रोता के रूप में जुड़ा करता था, लेकिन थोड़े ही दिनों में उसने अपनी बातों से ग्रुप के कुछ लोगों को शीशे में उतार लिया और उसे इस मंच पर बोलने देने की मांग होने लगी। लोग बताते हैं कि दीप सिद्धू को उसके विचार पसंद नहीं आए क्योंकि वह मौका मिलते ही खालिस्तान बनाने की बात करता था। इसके बाद दीप ने अमृतपाल को ब्लॉक कर दिया। 15 फरवरी 2022 को एक रहस्यमयी सड़क हादसे में दीप की मौत हो गई, कुछ लोग आज भी इसे हादसा नहीं, साजिश ही मानते हैं।

अमृतपाल का मेकओवर
दीप की मौत के बाद अमृतपाल पंजाब लौटता है, लेकिन छह महीने तक उसके नाम को लेकर किसी भी तरह की चर्चा नहीं होती। इसके बाद करीब छह महीने पहले सितंबर में एक दिन वारिस पंजाब दे का फेसबुक पेज हैक होता है और वहीं पर अमृतपाल को इसका मुखिया बनाने का ऐलान होता है। इससे पहले अमृतपाल ने सिख पंथ की विधिवत दीक्षा तक नहीं ली थी यानी अमृत नहीं छका था। उसने 25 सितंबर, 2022 को आनंदपुर साहिब में अमृत छका और चार दिन बाद खालिस्तान का चेहरा रहे जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे में दस्तार बंदी का कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम में हजारों लोग पहुंचे थे और खालिस्तान के समर्थन में नारे भी लगे थे। इसके साथ ही एक 12वीं पास शख्स, जो दुबई में ट्रक ड्राइवरी करता था उसका कट्टरपंथी खालिस्तानी बनने का सफर अब पूरा हो चुका था। 29 सितंबर 2022 के बाद अमृतपाल भिंडरावले के ही वेश में रहने लगा। लंबा सफेद कुर्ता, ढीला पायजामा और नीली पगड़ी बांधनी शुरू की। कृपाण रखने लगा और खुद को भिंडरावाले 2.O कहलाना पसंद करने लगा।

पुलिस और एजेंसियों की चूक
भिंडरावाले के गांव के कार्यक्रम के समय ही पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों को अलर्ट मोड में आ जाना चाहिए था, लेकिन यहां दोनों से चूक हो गई। अब अमृतपाल बेलगाम होने लगा। वह और उसके लोग महंगी गाड़ियों में हथियारों की नुमाइश करते हुए बिना रोक-टोक के घूमने लगे। एक आदमी जो छह महीने पहले तक ट्रक चलाता था और दुबई में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के साथ ऑपरेशंस मैनेजर था, उसके पास संसाधनों की भरमार ने इस थ्योरी को जन्म दिया कि उसकी पीठ पर किसी का हाथ है। दिसंबर में अमृतपाल के समर्थकों ने जालंधर में दो गुरुद्वारों में फर्नीचर को तोड़कर आग के हवाले कर दिया और ऐलान किया है कि किसी भी गुरुघर में कोई कुर्सी-सोफा दिखाई नहीं देना चाहिए। अमृतपाल के समर्थकों का कहना था कि जहां पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश होगा, वहां पर बराबरी में कुर्सियां लगाकर बैठना उनकी तौहीन है।

यूं बढ़ने लगा मंसूबा
कट्टरपंथी एजेंडों को कुछ लोगों की ओर से मिल रहे समर्थन से अमृतपाल का मंसूबा बढ़ने लगा। इस साल फरवरी में उसने अजनाला में एक पुलिस स्टेशन से कुछ समर्थकों को छुड़ाने के लिए धावा बोल दिया। झड़प में कई पुलिसवाले घायल हो गए और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। पुलिस ने तर्क दिया कि बल प्रयोग इसलिए नहीं किया गया क्योंकि अमृतपाल ने गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने वाली पालकी के पीछे जान-बूझकर ढाल ले ली थी। इस वारदात के बाद अमृतपाल का हौसला सातवें आसमान पर पहुंच गया और वह खुलेआम पुलिस-प्रशासन को धमकी देने लगा। जब पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि अजनाला की घटना के वीडियो खंगाले जा रहे हैं, जो पुलिस वाले इस घटना में घायल हुए हैं उनके बयानों पर कार्रवाई की जाएगी तो इसके जवाब में अमृतपाल ने कहा है कि इस चैप्टर को यहीं बंद कर देना चाहिए। पुलिस ने मामला दर्ज किया,तो फिर प्रदर्शन होगा।

पुलिस के इकबाल को चुनौती
अमृतपाल लगातार पंजाब पुलिस के इकबाल को चुनौती दे रहा था और सूबे में कानून-व्यवस्था की समस्या सिर उठा रही थी। पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की पहली पुण्यतिथि के दिन उसके माता-पिता और समर्थकों ने एक बड़े मार्च की योजना बनाई थी। खुफिया एजेंसियों को संदेह था कि अमृतपाल इस मार्च में शामिल हो सकता है और स्थिति सरकार के हाथ से निकल सकती है। 18 मार्च को पुलिस ने आखिरकार उसके खिलाफ कार्रवाई की और उसके बाद से अमृतपाल के करीब 100 समर्थक गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस का कहना है कि अमृतपाल फरार है, जबकि उसके परिवार के लोग कह रहे हैं कि पुलिस ने उसे पकड़ लिया है और छिपाकर रखे हुए हैं। उसे पेश करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की अर्जी रिश्तेदारों की ओर से दी गई है, जिसपर कल सुनवाई होनी है।

क्या होगा हश्र
अमृतपाल का हश्र क्या होगा इसका जवाब भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन इस पूरे प्रकरण ने पंजाब की कानून-व्यवस्था से लेकर सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल उठाने के मौके दे दिए हैं। लोगों के मन में सवाल है कि कहीं पंजाब में 1980 के खतरनाक दौर की वापसी तो नहीं होने जा रही है? हालांकि, इसका जवाब आने वाले दिनों में पंजाब और केंद्र की सरकार के कदमों पर बहुत कुछ निर्भर होगा। वैसे, यह बात बहुत आश्चर्यचकित करती है कि 30 साल का दुबई से आया हुआ एक व्यक्ति कैसे रातों-रात इतना प्रसिद्ध हो गया। लोग मानते हैं कि भिंडरावाले तो एक धार्मिक नेता था और उसको एक राजनीतिक पार्टी ने खड़ा किया था, लेकिन अमृतपाल की इस कदर लोकप्रियता रहस्यमयी नजर आती है। क्या अमृतपाल को सच में किसी ने पंजाब में प्लांट किया है?

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