महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सोमवार को एक और बड़ा राजनीतिक झटका लगा। पूर्व उद्योग मंत्री व ठाकरे गुट के नेता सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए।
उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना की आज सदस्यता ग्रहण की। शिवसेना में शामिल होने के बाद भूषण ने कहा कि बालासाहेब मेरे भगवान हैं। उन्होंने कहा, 'सीएम शिंदे हिंदुत्व के विचारों को लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। मुझे उन पर पूरा भरोसा है। मैंने पहले भी उनके साथ काम किया है और आगे भी उनके साथ खड़ा रहूंगा। एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते में शिंदे से प्रेरित हूं।'
भूषण देसाई के पार्टी में शामिल होने पर शिंदे ने कहा कि इन दिनों विधानसभा सत्र चल रहा है। यहां हमारा सेशन चालू है और भूषण अब हमारे साथ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जब हमने जाने (उद्धव सरकार से अलग होने) का फैसला किया, तब हमारे साथ 40 विधायक और 13 सांसद थे। इसके बाद से तो कई लोग हमसे जुड़े हैं। वहीं, इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा कि भूषण देसाई का शिवसेना से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'जिन्हें वाशिंग मशीन में जाना है वो जरूर चले जाएं। सुभाष देसाई हमारे साथ हैं। वह चौबीसों घंटे उद्धव ठाकरे के साथ हैं। वे हमें कभी नहीं छोड़ेंगे।'
शिंदे के नेतृत्व में बगावत से गई ठाकरे की सत्ता
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत के बाद शिवसेना दो गुटों में टूट गई। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद शिंदे गुट ने भाजपा के समर्थन में राज्य में सरकार बनाई। ठाकरे गुट को उस वक्त एक और बड़ा झटका लगा जब चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता दी। साथ ही आयोग ने शिंदे गुट को ही तीर-कमान चुनाव चिह्न आवंटित किया। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने इसे लेकर बीते रविवार को EC पर फिर से सवाल उठाए।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के सीएम शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे तीर-कमान चुनाव चिह्न आवंटित करने का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इस समय 'सीएम' का मतलब 'करप्ट मैन' (भ्रष्ट व्यक्ति) है। उन्होंने कहा कि अवैध और असंवैधानिक मुख्यमंत्री को निश्चित रूप से जाना होगा। उन्होंने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) को आवंटित मशाल का चिह्न एकमात्र ऐसा प्रकाश है जो विश्वासघात और पीठ में छुरा घोंपने से हुए अंधेरे को मिटाएगा।