प्रकृति और ईश्वर का मिलन कई बार कुछ ऐसे चमत्कार प्रकट कर देता है कि हर कोई इसे देख दंग रह जाता है. शायद यही वजह है कि भारत में प्रकृति की गोद में बसे कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके रहस्य और आर्किटेक्ट को आज के वैज्ञानिक किसी बच्चे की तरह आश्चर्य से देखते हैं.
आज हम आपको महाराष्ट्र के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी गुफा का रहस्य 11वीं शताब्दी से वैसा के वैसा ही बना हुआ है. हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थति केदारेश्वर गुफा मंदिर की, जिसकी अलौकिक सुंदरता के साथ ही उसका रहस्य भी लोगों को सालों से अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है.
हम सब जानते हैं कि किसी कुर्सी को टिके रहने के लिए 4 पायों की जरूरत होती है. लेकिन सोचिए अगर कोई कुर्सी बस एक पाये पर टिकी हो तो? यही चमत्कार सालों से एक मंदिर में हो रहा है. केदारेश्वर मंदिर, अहमदनगर जिले में हरिश्चंद्र पहाड़ी किले पर स्थित है. कहा जाता है कि इस मंदिर को 6ठी शताब्दी में कलचुरी राजवंश द्वारा बनवाया गया था लेकिन किले की गुफाएं 11वीं शताब्दी में मिलीं. ये मंदिर इसलिए भी बहुत माना जाता है, क्योंकि यहां शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है. ये मंदिर किले के अंदर 4,671 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है.
एक स्तंभ पर खड़ा है मंदिर
मंदिर के पास तीन गुफाएं हैं और दाहिनी गुफा में बर्फ के ठंडे पानी के बीच में 5 फुट का शिवलिंग विराजमान है. केदारेश्वर मंदिर के चार स्तंभ में से केवल एक ही स्तंभ जमीन से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि मंदिर के ये स्तंभ चार युगों को दिखाता है. हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के अनुसार, प्रत्येक स्तंभ चार युगों या ब्रह्मांडीय युगों का प्रतिनिधित्व करता है - सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग. गुफा इन स्तंभों में से एक पर खड़ी है क्योंकि उनमें से तीन गिर चुके हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर आखिरी खंभा टूट गया तो दुनिया खत्म हो जाएगी. इसके अलावा ऐसी भी मान्यताएं हैं कि ये स्तंभ बदलते युगों के अनुसार अपनी ऊंचाई बदलते रहते हैं. जैसे-जैसे प्रत्येक ब्रह्मांडीय युग आगे बढ़ता है. इसके साथ ही गर्मियों के दौरान शिवलिंग के आसपास के पानी का तापमान भी बदल जाता है. गर्मियों में जहां ये पानी बर्फीला ठंडा होता है, वहीं सर्दियों में यह गुनगुने पानी में बदल जाता है.
इस मंदिर को 6ठी शताब्दी में कलचुरी राजवंश द्वारा बनवाया गया था.
इस मंदिर में शिवलिंग के आसपास बेहद ठंडा पानी रहता है. इस ठंडे पानी में डुबकी लगाना आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि यहां डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं. पहाड़ियों के बीच बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको ट्रैकिंग करनी होती है, जो आपके इस अनुभव में एक नया अनुभव जोड़ देती है.