Home समाचार विदेश स्कूलमॉल खुल रहे हैंलेकिन कोर्ट में नहीं हो रही फिजिकल सुनवाई, इसे सही ठहराना मुश्किल- सुप्रीम कोर्ट

स्कूलमॉल खुल रहे हैंलेकिन कोर्ट में नहीं हो रही फिजिकल सुनवाई, इसे सही ठहराना मुश्किल- सुप्रीम कोर्ट

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देश में कोरोना के कम होते मामलों को देखते हुए कई राज्यों में स्कूलों, मॉल्स और मेट्रो सेवा को दोबारा शुर कर दिया गया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने कहा है कि ऐसी स्थिति में कोर्ट की फिजिकल हियरिंग (Physical Hearing) नहीं होने को जस्टिफाई करना मुश्किल है.

मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को मामलों की हाइब्रिड सुनवाई (भौतिक और आभासी सुनवाई) की अनुमति देने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकीलों के नहीं आने पर, सुप्रीम कोर्ट की दो अलग-अलग बेंचों ने एक के साथ अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि “वकीलों की फिजिकल उपस्थिति को लागू करने के लिए आदेश जारी करने की आवश्यकता है”. जबकि एक अन्य पीठ उन वकीलों के लिए मामले की सूची बनाने को प्राथमिकता दे रही है जो शारीरिक रूप से पेश होने के लिए सहमत हुए हैं.

जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा, "स्कूल खुले हैं, मॉल खुले हैं और मेट्रो रेल खुली है. केवल सुप्रीम कोर्ट खुला नहीं है.आप कैसे सही ठहराते हैं. आप बाजार जाएंगे लेकिन कोर्ट नहीं आएंगे. आप इसे कैसे न्यायोचित ठहराते हैं. हम (जज) रोज कोर्ट आ रहे हैं.”

पीठ ने 23 और 30 सितंबर को दो मामले पोस्ट कर मामले में पेश होने वाले वकीलों को हाजिर होने को कहा. पीठ ने कहा कि “हमारे सामने सूचीबद्ध अधिकांश नियमित मामले लंबे मामले हैं जिनके लिए भौतिक तर्क की आवश्यकता होती है. हम खुले तौर पर आपका स्वागत करने के लिए वहां मौजूद रहेंगे. यहां तक ​​कि बहस के दौरान हलके-फुलके पल भी आभासी सुनवाई के दौरान गायब हैं.”

एक सितंबर से फिजिकल हियरिंग के लिए एसओपी

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई (Virtual Hearing) के विकल्प के साथ मामलों की फिजिकल हियरिंग एक सितंबर से शुरू करने के लिए एसओपी अधिसूचित किया था. कोर्ट के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार फिजिकल हियरिंग को धीरे-धीरे फिर से शुरू करने के लिए अंतिम सुनवाई या नॉन मिसलेनियस दिनों में सूचीबद्ध नियमित मामलों को फिजिकली सुना जा सकता है.

अधिकारी ने कहा था कि मामले में पक्षों की संख्या के साथ-साथ कोर्ट रूम की सीमित क्षमता को देखते हुए संबंधित बेंच निर्णय ले सकती है. किसी भी अन्य मामले को ऐसे दिनों में फिजिकल मोड में सुना जा सकता है, अगर माननीय पीठ इसी तरह निर्देश देती है. बाकि दिनों में लिस्टेड सभी मामलों को वीडियो / टेलीकांफ्रेंसिंग मोड के माध्यम से सुना जाना जारी रहेगा. हाइब्रिड विकल्प के साथ शारीरिक सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने एसओपी जारी किया था.

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