Home राज्यों से मध्यप्रदेश मध्य प्रदेश में मजबूर किसान ने बैलों की जगह बच्चों को खेत में जोता

मध्य प्रदेश में मजबूर किसान ने बैलों की जगह बच्चों को खेत में जोता

news_image

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में किसान को अपने ही बच्चों को बैल बना कर हल में जोतना पड़ रहा है। ताजा मामला रायसेन के उमराही गांव का है, जहां किसान रविन्द्र कुशवाह बैलो की जगह अपने दो मासूम बच्चों को खेत में जोत के लिए हल खिंचवाते दिख जाएगें। आर्थिक तंगी और सरकारी मदद के अभाव में किसान अपने दोनों बच्चों को बैल की जगह जोत रहा है। रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील के उमराही गांव में पढाई लिखाई की उम्र में किसान रविन्द्र कुशवाह के बच्चे खेतों में बैल बनकर अपने पिता की मदद कर रहे है। कुछ इसी तरह की तस्वीर साल 2017 में दो साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र सिहोर में भी दिखने को मिली थी। जब सिहोर जिले के बसंतपुर पागरी गाँव में किसान सरदार बारेला अपनी 14 साल की बेटी राधिका और 11 साल की कुंती को हल में जोत कर खेत में दिखे थे।पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र रहा रायसेन जिले का यह गाँव इन दिनों समाचार पत्रों और मीडिया की सुर्खियों में है। रायसेन जिले के अंतिम छोर पर बेगमगंज जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत उमराही में किसान आर्थिक तंगी के कारण हल में अपने बेटों को बैलों की जगह जोत रहा है। किसान रविन्द्र कुशवाह के पास दो एकड़ जमीन थी, जिसमें से एक एकड़ मसूरबाबरी डेम में चली गई। किसान रविन्द्र कुशवाह के दो बेटे है, दोनों स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ अपने पिता का किसानी में हाथ बटाते है। किसान रविन्द्र कुशवाह के अनुसार वह तीन साल से बीमारी से जूझ रहा है। सरकार की किसी भी योजना का लाभ उन्हें आजतक नहीं मिला है। आर्थिक तंगी ऐसी है कि खेती के लिए बैल कहा से खरीदें जबकि दो जून की रोटी के लाले पड़े है। मजबूरी में बच्चों से ही खेत में काम करवाना पड़ता है। रविन्द्र कुशवाह कहते है कि मुझे दुख तो होता है पर क्या करें मजबूरी है।

Leave a Comment

महत्वपूर्ण सूचना

भारत सरकार की नई आईटी पॉलिसी के तहत किसी भी विषय/ व्यक्ति विशेष, समुदाय, धर्म तथा देश के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी दंडनीय अपराध है। अत: इस फोरम में भेजे गए किसी भी टिप्पणी की जिम्मेदारी पूर्णत: लेखक की होगी।