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अंडा दूर कर रहा है, मटन चिकन की कमी

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यूपी में एक करोड़ हुई अण्डे की रोजाना खपत, दामों में उछाल
प्रदेश में ८८२ इकाईयां कर रही है अण्डे का उत्पादन

लखनऊ। कोरोना का कहर बढऩे के साथ ही पुलिस प्रशासन ने शहर से लेकर देहात तक सभी तरह के मांसों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी। साथ ही मछली की बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी। यह पाबंदी अभी भी बरकरार है। लेकिन इस दौरान अण्डों की बिक्री करीब दोगुना तक बढ़ गयी हैं। इसके साथ ही इन अण्डों की कीमतों में भी उछाल आ गयी है। इस तरह अण्डा ही मटन व चिकन का विकल्प बन गया है।
कोरोना का संक्रमण जब भारत में आया तो यह प्रचारित हो गया कि यह वायरस एक जानवर का मांस खाने से उत्पन्न हुआ। लोग दहशत में आ गये और उन्होंने स्वत: मांस से तौबा कर ली। हालत यह हो गयी कि ब्रायलर मुर्गो को लोगों ने जिदा ही मिट्टी में दफन करना आरंभ कर दिया। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन ने चिकन, मटन एवं मछली की सभी दुकानें बद करा दी है। वहीं प्रदेश सरकार मछली का कारोबार पुन:आरंभ करने की योजना बना रही है। इसी बीच अण्डे ने जोर पकड लिया है। प्रदेश में सर्दी  के दिनों में भी अण्डे की बिक्री ५० से ६० लाख के बीच होती थी। पिछले साल गर्मी की बात करें तो यह बिक्री ४० लाख के करीब थी लेकिन वर्तमान में अण्डे की बिक्री एक करोड के करीब पहुंच गयी है। जो अपने आप में रिकार्ड है। लोगों का कहना है कि इतना अण्डा पहले कभी नहीं बिका ।
इसका प्रमुख कारण यह भी है  कि अण्डा लोगों को सहजता से उपलब्ध भी हो जा रहा है। आम तौर पर सभी किराना दुकानदार इन दिनों अण्डा रख रहे हैं। इसकेे दाम में भी उछाल आ गयी है। जो पेटी पहले १०० रूपये के आस पास बिकती थी वह आज १४० से १६० रूपए में बिक रही है। खास बात यह है कि अण्डे के बारे में सरकार की तरफ से इस पूरे लाकडाउन में कोई दिशा निर्देश नहीं जारी हुए। इसलिए अण्डों की बिक्री बराबर होती रही। आज यह लोगों में नानवेज की जरूरतें पूरी कर रहा है। यानी मटन चिकन एवं मछली का मजबूरी में विकल्प बन गया है।

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