Home अभिमत आलेख यू.एन.एस.सी. की अध्यक्षता भारत को ,दुनिया के शक्तिशाली मंचों पर मजबूत उपस्थिति श्री मोदी जी बधाइयाँ

यू.एन.एस.सी. की अध्यक्षता भारत को ,दुनिया के शक्तिशाली मंचों पर मजबूत उपस्थिति श्री मोदी जी बधाइयाँ

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- डाॅ. जगदीश गाँधी, शिक्षाविद् एवं

संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ

               संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यू.एन.एस.सी.) की अगस्त माह के लिए अध्यक्षता का महत्वपूर्ण दायित्व पहले सबसे लोकप्रिय भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में संभालने के लिए श्री मोदी जी को संसार के विश्व एकता तथा विश्व शान्ति के प्रबल समर्थक सभी विचारशील लोगों की ओर से हार्दिक बधाइयां हैं। 75 से ज्यादा सालांे में यह पहली बार है जब भारतीय शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व ने 15 सदस्यीय यू.एन.एस.सी. की अध्यक्षता का साहसिक निर्णय लिया है। यूएनएससी में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की अध्यक्षता के दौरान अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा, अन्तर्राष्ट्रीय शांति स्थापना और अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के आयोजन के द्वारा मानव जाति के सुरक्षित तथा उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करने में अभूतपूर्व सफलता मिलेगी।

               अभी हाल ही में श्री मोदी जी को अमेरिकी डेटा इंटेलिजेंस फर्म ‘माॅर्निंग कंसल्ट’ के सर्वे में दुनियाँ के शीर्ष नेताओं की सूची में सबसे अधिक लोकप्रिय हस्ती के रूप में चुना गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून-जेन-इन जैसे कुछ अन्य विश्व नेताओं की तुलना में काफी अधिक लोकप्रियता हासिल करके प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले हमारे प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता जिस तेजी के साथ सारे विश्व में बढ़ती जा रही हैं, उससे लगता है कि आने वाले समय में आप सारे विश्व का नेतृत्व करके सारी दुनियाँ में शांति एवं एकता की स्थापना के लिए विश्व संसद का गठन अवश्य करेंगे।

               सारी दुनियाँ ने देखा है कि वैश्विक कोरोना महामारी के समय में हमारे देश के यशस्वी, दूरदर्शी एवं अत्यन्त ही चमत्कारिक व्यक्तित्व के धनी प्रधानमंत्री के रूप में ना सिर्फ अपने नागरिकों की चिंता की बल्कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के अनुरूप सारी दुनियाँ के देशों को भी मदद पहुंचाईं। वास्तव में दुनियाँ के सबसे महत्वपूर्ण एवं ताकतवर देशों के अत्यन्त शक्तिशाली व लोकप्रिय माने जाने वाले वल्र्ड लीडर्स में से सबसे अधिक लोकप्रिय वल्र्ड लीडर चुने जाने पर प्रत्येक भारतीय हर्षित एवं गौरवान्वित है।             

               भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की महान संस्कृति एवं सभ्यता को जिस प्रकार से सारे विश्व के समक्ष न केवल भारत के माननीय प्रधानमंत्री के रूप में वरन् एक परिपक्व वल्र्ड लीडर के रूप में सदैव रखा है, उसके लिए भी श्री मोदी जी को ढेर सारी बधाइयाँ हैं। आपने विश्व के सात सौ करोड़ से अधिक लोगों के भविष्य के प्रति अपनी चिन्ता सदैव जतायी है तथा विश्व के सभी देशों को इसमें भागीदारी निभाने को प्रेरित किया है। आपने बिलकुल ठीक कहा है कि विश्व में जी-8, जी-20 आदि अनेक ग्रुप हंै लेकिन अब जी-आॅल गु्रप की आवश्यकता है और हमें यह ध्यान देना चाहिए कि हम कैसे संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रजातांत्रिक, शक्तिशाली तथा और अधिक प्रभावशाली बना सकते है।  

               सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ के लगभग 55,000 से अधिक बच्चों तथा भारत के लगभग 40 करोड़ बच्चों तथा विश्व दो अरब बच्चों तथा आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों की ओर से मैंने अपने को स्वतः निर्मित अभिभावक की हैसियत से मैं श्री मोदी जी से विश्व संसद के गठन की प्रक्रिया ‘यूरोपीय संसद’ की तरह शुरू करने की अपील करता हूँ। ‘यूरोपीय संसद’ के गठन के लिए फ्रांस के प्रधानमंत्री श्री राबर्ट शूमेन ने यूरोपीय देशों के नेताओं की एक बैठक बुलाने की पहल की थी। इस पहली बैठक में 76 यूरोपीय संसद सदस्यों ने प्रतिभाग किया जिसके परिणाम स्वरूप यूरोपीय यूनियन व 28 यूरोपीय देशों की एक ‘यूरोपीय संसद’ गठित की गई।

               इस यूरोपीय संसद की वजह से आज पूरे यूरोप में स्थायी एकता व शांति स्थापित है। आज यूरोपीय यूनियन में 28 यूरोपीय देश पूर्ण सदस्य राज्यों की तरह से हैं। यूरोपीय यूनियन के 18 देशों ने अपनी राष्ट्रीय मुद्रा को समाप्त कर ‘यूरो’ मुद्रा को अपनी राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में अपनाया है। इस बैठक को आयोजित करने की पहल करना यूरोप में स्थायी शांति व सभी देशों में एकता स्थापित करने के लिए श्री राबर्ट शूमेन का एक महत्वपूर्ण कदम था। यह कदम विश्व की एक राजनैतिक व्यवस्था तथा एक विश्व की आर्थिक व्यवस्था जैसा ही है।

               हम गर्व के साथ कह सकते है कि संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में श्री मोदी जी ने हमारे सशक्त प्रधानमंत्री, हमारे नागरिकों, हमारी संस्कृति तथा हमारी आशा तथा विश्वास का प्रतिनिधित्व किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में श्री मोदी जी के विश्वव्यापी एवं मानवीय विचारों ने गहरा असर सारे विश्व में किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में उस अवसर पर उपस्थित सदस्य देश के प्रतिनिधि अपने-अपने देश में विश्व एकता तथा विश्व शान्ति का सन्देश लेकर गये हैं।

               जैसा कि आपको ज्ञात है कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री वुडरो विल्सन ने विश्व के नेताओं की एक बैठक आयोजित की, जिसके फलस्वरूप ‘लीग आॅफ नेशन्स’ की स्थापना हुई। अमेरिका के ही तत्कालीन राष्ट्रपति श्री फ्रैन्कलिन रूजवेल्ट ने 1945 में विश्व के नेताओं की एक बैठक बुलाई जिसकी वजह से 24 अक्टूबर, 1945 को ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ (यू.एन.ओ.) की स्थापना हुई। फ्रांस के प्रधानमंत्री श्री राबर्ट शूमेन ने यूरोपीय देशों के नेताओं की एक बैठक बुलाने की पहल की। इस पहली बैठक में 76 यूरोपीय संसद सदस्यों ने प्रतिभाग किया जिसके परिणामस्वरूप यूरोपीय यूनियन व 28 यूरोपीय देशों की एक ‘यूरोपीय संसद’ गठित की गई।

               इन विश्व के तीन महान नेताओं के बाद अब श्री मोदी जी संयुक्त राष्ट्र महासभा में तथा अन्य वैश्विक मीटिंगों में अपने भाषणों द्वारा विश्व के सभी देशों को नेताओं को एकजुट होने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हम प्रबल आशा के साथ श्री मोदी जी से निवेदन करना चाहेंगे कि वह विश्व एकता की दिशा में अगला कदम शीघ्र उठाकर विश्व के सभी देशों के शासनाध्यक्षों की एक मीटिंग दिल्ली में बुलाने की कृपा करें। जिसमें श्री मोदी जी की अगुवाई में एक चयनित और अधिक प्रजातांत्रिक विश्व संसद के यूरोपियन संसद की तरह गठन का प्रबल विचार रखा जा सके। यूरोपियन संसद का गठन आज विश्व के समक्ष सबसे अच्छा उदाहरण है। जो कि उनकी नेशनल पार्लियामेन्ट के ऊपर है। यूरोपियन संसद का गठन बिना संबंधित देशों ने अपनी संप्रभुता में किसी प्रकार की कटौती के की है।

               पूर्व काल में अनेक यूरोपियन देश एक समय एक-दूसरे के घोर शत्रु थे। मानव इतिहास में 20वीं सदी को उन्होंने खूनी सदी बना दी थी। यूरोप में अलग-अलग संस्कृति के लोग रहते हैं इसके बावजूद उन्होंने अपने मतभेदों को भूलाकर विश्व एकता तथा विश्व शान्ति के लिए यूरोपियन संसद का गठन किया है। यूरो करेन्सी विश्व की सबसे शक्तिशाली मुद्रा है। यूरोपियन संसद को छः दशकों से अधिक वर्षों में लोकतंत्र, मानवाधिकारों के संरक्षण, आधुनिकीकरण, विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए वर्ष 2012 में नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया है। यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों के बीच आपसी युद्धों का अब किसी प्रकार का खतरा मानव जाति को नहीं है।

               मेरे संयोजन में सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ वर्ष 2001 अर्थात विगत 21 वर्षों से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 पर अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन का आयोजन प्रतिवर्ष कर रहा है। विगत वर्ष 21वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ का आयोजन 6 से 9 नवम्बर 2020 तक कोविड-19 के चलते आॅनलाइन किया गया था, इस ऐतिहासिक सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने किया था। प्रतिवर्ष आयोजित इन सम्मेलनों में विश्व के विभिन्न देशों से प्रतिभाग करने पधारे मुख्य न्यायाधीशों से सीएमएस के छात्र अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं तथा उनके समाधान खोजने पर चर्चा करते हैं।

               वर्ष 2001 से 2020 तक प्रतिवर्ष आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अब तक 136 देशों के 1329 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, हेड आॅफ दि स्टेट/गवर्नमेन्ट, संसद के स्पीकरों ने प्रतिभाग किया है। इन सम्मेलनों में मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों एवं शांति प्रचारकों ने प्रतिभाग करके विश्व संसद, विश्व सरकार तथा वल्र्ड कोर्ट आॅफ जस्टिस के गठन को अपना सर्वसम्मति से समर्थन दिया है। प्रत्येक वर्ष के सम्मेलन के अन्तर्गत विश्व की प्रख्यात हस्तियों, न्यायविद्ों व कानूनविद्ों की गहन परिचर्चा के निष्कर्ष स्वरूप ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया जाता है। इस घोषणा पत्र को सभी देशों व सरकारों के प्रमुखों व मुख्य न्यायाधीशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव तथा क्षेत्रीय संस्थाओं जैसे अफ्रीकन यूनियन, यूरोपियन यूनियन, एसियान आदि के प्रमुखों को उनके विचारार्थ और यथा संभव कार्यान्वयन हेतु भेजा जाता है।

               ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् सारा ‘विश्व एक परिवार है’ की भारतीय संस्कृति के आदर्श की एक महान वल्र्ड लीडर की भूमिका श्री मोदी जी पूरे मनोयोग से निभा रहे हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का लक्ष्य सारे विश्व के लिए श्री मोदी जी ने निर्धारित किया है। श्री मोदी जी के विचार, दर्शन तथा सपना विश्व के सभी लोगों पर अच्छा असर डाल रहे हैं।

               विश्व गुरू के रूप में श्री मोदी जी ने वैश्विक कोरोना काल से जुझ रही मानव जाति के अन्दर नई आशा की किरण जगाई है तथा हम विश्वास करते है कि यह सही समय विश्व को श्री मोदी जी द्वारा नेतृत्व प्रदान करने का है। यदि श्री मोदी जी विश्व एकता के लिए विश्व संसद के गठन का कदम उठाते हैं।विश्व संसद ही विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान कर सकती है। मुझे पूरा विश्वास है कि विश्व के लगभग दो अरब तथा चालीस करोड़ बच्चों तथा आगे जन्म लेने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के प्रयास में सारा विश्व समुदाय विश्व एकता के प्रबल समर्थक भारत के साथ खड़ा होगा। विश्व संसद के गठन से देशों के बीच होने वाले युद्धों की समाप्ति हो जायेगी। जिसके फलस्वरूप में एक नई वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद) का गठन समय रहते होगा। साथ ही उसके पश्चात मानव सभ्यता की गुफाओं से शुरू हुई यात्रा का अन्तिम लक्ष्य सारी धरती पर वसुधैव कुटुम्बकम् के अन्तर्गत आध्यात्मिक सभ्यता की स्थापना से पूरा होगा।

 

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