Home अभिमत साक्षात्कार पुस्तकें जागृत देवता हैं :प्रदीप कुमार सिंह

पुस्तकें जागृत देवता हैं :प्रदीप कुमार सिंह

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विकासशील जीवन के लिए पुस्तकों का साथ होना आवश्यक है, अनिवार्य है, क्योंकि पुस्तकों में उसे जीवन का मार्ग दर्शक प्रकाश स्रोत मिलता है। वस्तुतः संसार के सभी भीषण सागर में डूबते उतराते मनुष्य के लिए पुस्तकें उस प्रकाश स्तम्भ की तरह सहायक होती हैं जैसे समुद्र में चलने वाले जहाजों को मार्ग दिखाने वाले प्रकाशगृह।अच्छी पुस्तकें एक विकसित मस्तिष्क का ‘ग्राफ’ होती हैं। मिल्टन ने कहा है ‘अच्छी पुस्तक एक महान आत्मा का जीवन रक्त है।” क्योंकि उसमें उसके जीवन का विचारसार सन्निहित होता है। व्यक्ति मर जाते हैं लेकिन ग्रन्थों में उनकी आत्मा का निवास होता है। ग्रन्थ सजीव होते हैं। इसीलिए लिटन ने कहा है “ग्रन्थों में आत्मा होती है। सद्ग्रन्थों का कभी नाश नहीं होता।” पुस्तकों पर सिसरो ने कहा है “ग्रन्थ रहित कमरा आत्मा रहित देह के समान है।”जब की लोकमान्य तिलक ने कहा है- मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूंगा क्योंकि इनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये रहेंगी वहाँ अपने आप ही स्वर्ग बन जायेगा।” शायद इसी लिए भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सभी से यह आग्रह किया की अब फूलो के गुलदस्तो की जगह लोग उपहार मे पुस्तक दे और मोदी जी की इसी बात को अपने अंदर सहज ही उतार लिया शिक्षा विद ,समाजसेवी ,स्वतंत्र पत्रकार के रूप मे पहचाने और जाने वाले प्रदीप कुमार सिंह ने जूनून कुछ ऐसा की सब कुछ पुस्तको मे रच बस गया प्रदीप कुमार सिंह अब तक हजारो पुस्तके बाँट चुके है ,जिनमे ज्ञान वर्धक ,आध्यात्मिक ,ज्ञान वर्धक जीवन गाथा शामिल रहती है पुस्तको पर प्रदीप कुमार सिंह कहते है की सच्चे, निस्वार्थी आत्मीय मित्र मिलना कठिन है। हममें से बहुतों को इस सम्बन्ध में निराश ही होना पड़ता है। लेकिन अच्छी पुस्तकें सहज ही हमारी सच्ची मित्र बन जाती हैं। वे हमें सही रास्ता दिखाती हैं। जीवन पथ पर आगे बढ़ने में हमारा साथ देती है। महात्मा गाँधी ने कहा है “अच्छी पुस्तकें पास होने पर हमें भले मित्रों की कमी नहीं खटकती।वह कहते है की जीवन में अन्य सामग्री की तरह हमें उत्तम पुस्तकों का संग्रह करना चाहिये। जीवन के विभिन्न अंगों पर प्रकाश डालने वाले, विविध विषयों के उत्तम ग्रन्थ खरीदने के लिए खर्च के बजट में सुविधानुसार आवश्यक राशि रखनी चाहिए। कपड़े, भोजन, मकान, की तरह ही हमें पुस्तकों के लिए भी आवश्यक खर्चे की तरह ध्यान रखना चाहिए। स्मरण रखिए उत्तम पुस्तकों के लिए खर्च किया जाने वाला पैसा उसी प्रकार व्यर्थ नहीं जाता जिस तरह अँधेरे बियावान जंगल में प्रकाश के लिए खर्च किए जाने वाला धन। पुस्तको की इस दीवानगी मे प्रदीप कुमार सिंह ने अब तक बडे राजनीतिज्ञो से लेकर आम आदमी तक पुताको का वितरण कर चुके है साथ नरेन्द्र मोदी के कहे हए मिसन को आगे बढ़ा रहे है मन मे सेवा भाव और बगल मे पुस्तकों से भरा थैला लिए प्रदीप कुमार सिंह अधिकतर समरोहो मे दिख जाते है प्रदीप कुमार सिंह ने प्रदेश के बाहर भी पुस्तको का वितरण किया है ज्ञान बाटने की यह मिसाल विरले ही मिलेगी प्रदीप कुमार सिंह ने पुस्तकों के वितरण का एक एल्बम भी बानाया है जिसको वह श्री नरेन्द्र मोदी जी को भेट करना चाहते है और आखिर मे वह कहते है की पुस्तकें जागृत देवता हैं, उनके अध्ययन, मनन, चिन्तन के द्वारा पूजा करने पर तत्काल ही वरदान पाया जा सकता है

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