Home अभिमत सम्पादकीय .... सुस्वागतम्... साभार... सादर... सार्थक स्वदेशी" सविनय... जय श्री गणेश...

.... सुस्वागतम्... साभार... सादर... सार्थक स्वदेशी" सविनय... जय श्री गणेश...

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.. आम आदमी पार्टी  के संजय सिंह ने "श्री राम मन्दिर निर्माण समिति" पर झूठा आरोप लगाया है .?. (-इसके पहले भी ये आप" के संजय जी, २ बार इसी प्रकार के झूठे रायते फैलाकर पबलिकली माफी मांग चुके हैं .?.)  -कि राम मंदिर के लिए ज़मीन ख़रीदने में घोटाला हुआ है... उन्होंने सबूत पेश किया कि 18 मार्च को दो रेजिस्ट्री हुई, पहली रेजिस्ट्री में कुसुम पाठक, हरीश पाठक ने वह ज़मीन सुल्तान अंसारी आदि को दो करोड़ में बेंची, फिर पाँच मिनट बाद वही ज़मीन विहिप ने 18.5 करोड़ में ख़रीदी, सदैव की भाँति आप" स्व हित में जिस तरह से झूठे मुद्दे उठाती आई है .?. जो शुरुवात में सबको लगता है कि ये मुद्दा बहुत ही सेंसेसनल है .?. 
 ...मैं चूँकि रियल एस्टेट का भी अनुभव रखता हूँ, तो मैंने भी रीसर्च की, इस विषय में, तो पाया कि आप" ने जो बताया वह अर्ध सत्य है, 18 मार्च को दो नहीं तीन अनुबंध हुए, दो का ज़िक्र आप ने किया, तीसरा वह जिसे वह छिपा गए, ऐक्चूअली तीसरा वाला सबसे पहले हुआ था 18 मार्च को, इस अनुबंध के अनुसार कुसुम पाठक, हरीश पाठक का, सुल्तान अंसारी बिल्डर और पार्ट्नर के साथ, दो करोड़ में बेचने का अनुबंध था, जो वह निरस्त कर रहे हैं, बंगाल वाला खेला" यहीं है.?.
 ...अब मै serial वाइस फिर से लिखता हूँ ,  (1) -2019 में पाठक ने यह ज़मीन दो करोड़ में सुल्तान अंसारी बिल्डर + 8 पार्ट्नर को बेचने हेतु करार नामा किया रेजिस्टर्ड, जिसके एवज़ में पचास लाख रुपए लिए नगद, उस समय तक राम मंदिर का फ़ैसला नहीं आया था, तो ज़मीनों का रेट काफ़ी कम था अयोध्या में,  (2) -18 मार्च 2021 को पाठक ने यह करारनामा कैंसिल किया, जब तक यह करार नामा कैंसिल नहीं होता, पाठक इसे किसी को नहीं बेच सकते थे,  (3) फिर उसी दिन उन्होंने यह ज़मीन सुल्तान अंसारी बिल्डर को इसी रेट, -2 करोड़ में बेची,  (4) फिर सुल्तान अंसारी से यह ज़मीन विहिप ने, -18.5 करोड़ में ख़रीदी, दो साल पहले की बात अलग थी, तब दो करोड़ की जो ज़मीन थी अब आज अयोध्या में 18.5 करोड़ की होना नेचुरल है... 
 ...और डिटेल में समझाऊँ तो असल में यह कॉमन प्रेक्टिस है, बिल्डर तिहाई चौथाई पैसा देकर किसान से लैंड अग्रीमेंट कर लेते हैं, लम्बे समय के लिए, फिर वह ढूँढते हैं पार्टी जो उस ज़मीन को ख़रीद सके, किसान ने चूँकि अग्रीमेंट कर रखा है, तो वह बिल्डर को उसी रेट में ही बेंच सकता है, जिस रेट में पहले से तय है, जैसे ही बिल्डर को पार्टी मिल जाती है, या इसी बीच ज़मीन का रेट बढ़ गया तो बिल्डर सौदा तय कर देता है, पार्टी के साथ, पार्टी की मजबूरी है... बिल्डर से ही ख़रीदना, क्योंकि बिल्डर का किसान से अग्रीमेंट है, फिर रेजिस्ट्री वाले दिन बिल्डर पहले अग्रीमेंट कैंसिल करता है, फिर प्रॉपर्टी को पुराने रेट में ख़रीदता है, और फिर नए रेट में पार्टी को बेंच देता है... 
 ...यह एक सामान्य प्रेक्टिस है प्रॉपर्टी डीलिंग की, जो भी प्रॉपर्टी का कार्य करते हैं, या जो किसान अपनी ज़मीन बिल्डर को बेंचते हैं, उन्हें यह सब पता होता है, शहरों में भी बिल्डर ऐसे ही बिल्डर अग्रीमेंट करते हैं, फिर ज़मीन डिवेलप कर महँगे दाम पर बेंचते हैं, अरिजिनल पार्टी को रेट वही मिलता है, जितना उसने अग्रीमेंट में तय किया होता है, ठीक समय पर पैसा फँसाने के एवज़ में कमाई बिल्डर खाते हैं, यह उनके रिस्क की वसूली भी होती है....
 ...आपियों की जिंदगी का सदैव से एक मक़सद रहा है, अपने हित में असल बात को तोड़ मरोड़ कर, झूठ मूठ का रायता फैलाना, सबको गुमराह कर अपने प्रतद्वांदी को झूठ मूठ बदनाम करना .?. यह मुद्दा भी आप" के उन्हीं स्व हितकर भयंकर रायतों में से एक है.?.
... सुस्वागतम्... साभार... सादर... सार्थक स्वदेशी" सविनय... जय श्री गणेश...

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