अगर आप भी जिंदगी में अधिक तनाव लेने लगे हैं, तो संभल जाइए। क्योंकि उच्च रक्तचाप एक साइलंट किलर डिजीज है, जिसका शिकार हर तीसरा भारतीय है। इसलिए इस समस्या को कभी भी नजरअंदाज मत कीजिए। आपको पता होगा कि उच्च रक्तचाप के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल सत्रह मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाया जाता है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि उच्च रक्तचाप या हाई बीपी की समस्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है। खासकर हृदय रोगों, किडनी के निष्क्रिय होने जैसी अनेक समस्याओं के पीछे रक्तचाप का अधिक होना ही प्रमुख वजह है। विडंबना यह है कि कई रोगियों को अधिक रक्तचाप का पता ही नहीं चलता, क्योंकि इसका कोई खास लक्षण नहीं होता। हां, जब सिर में दर्द, देखने में दिक्कत, नींद सही से नहीं आने जैसी समस्याओं की जांच के लिए लोग चिकित्सक के पास जाते हैं तो पता चलता है कि रक्तचाप बढ़ा हुआ है।निःसन्देह उच्च रक्त चाप एक साइलेंट किलर डिजीज है। इसलिए जनजागरूकता हेतु इस वर्ष की थीम "नो योर नंबर्स विथ ए गोल ऑफ़ इंक्रीसिंग हाई ब्लड प्रेशर अवेयरनेस इन आल पॉपुलेशन्स अराउंड द वर्ल्ड" है। समझा जाता है कि उच्च रक्तचाप एक साइलंट किलर है जिसके अपने कोई विशेष लक्षण नहीं होते। कई बार तो रोगियों को सिर में दर्द या चक्कर आने की शिकायत होती है, लेकिन अधिकतर मस्तिष्क, हृदय, किडनी और आंखों पर असर होता है। इस गैर संचारी रोग से यदि आप बचना चाहते हैं तो 25 से 30 मिनट की कसरत कीजिए, भोजन में कम नमक का प्रयोग कीजिए। कम वसा वाले भोजन के इस्तेमाल से भी मानसिक तनाव से बचा जा सकता है। इसका बीपी रोगियों पर सकारात्मक असर दिखाई देता है। इसलिए बीपी रोगियों को उपचार और दवाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए।बता दें कि हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेशर की वह स्थिति होती है, जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमें तनाव, फास्ट फूड, व्यायाम की कमी, धूम्रपान का सेवन आदि शामिल है। सामान्य ब्लड सर्कुलेशन का रेंज 120/80 एमएमएच होता है। जबकि हाइपरटेंशन बढ़ने से इसका असर शरीर के मुख्य अंगों जैसे, ब्रेन, किडनी, हृदय, आंख आदि पर होता है।