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...आप अपने वैद्य/ डॉक्टर स्वयं बन सकते हैं,

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*...आप अपने वैद्य/ डॉक्टर स्वयं बन सकते हैं, १११ वर्ष तक का स्वस्थ, सुंदर जीवन भी जी सकते हैं, सपरिवार... सुस्वागतम्... साभार... सविनय... मात्र बस इतना सा काम करना है आपको... (१)खाने में केवल सेंधा नमक ही प्रयोग करें, इससे थायराईड बीपी. और पेट ठीक रहेगा. (२)केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें, जिससे आप सपरिवार, अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से, होने वाले नुकसानों से बचे रहेंगे. (३)कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर, केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल तेल का ही प्रयोग करें, रिफाइंड में बहुत केमिकल होते है, जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं. (४)सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल, मसल कर उसकी ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करे. (५)रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें. (६) खाते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं, खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा, और थकान भी कम होगी. (७)देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं, अनेक रोग दूर होंगे, वजन भी नहीं बढ़ेगा. (८)ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता, खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा. (९)ज्यादा से ज्यादा चीजें, लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं, आयरन की कमी किसी को नहीं होगी. (१०)भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा, भोजन करते समय बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा. (११)नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें, पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगे. (१२)सुबह के खाने के साथ, देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा. (१३)चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी. (१४)चीनी की जगह, बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर ले. (१५)छौंक में राई के साथ, कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते. (१६)चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं,  निरोग रहेंगे. (१७)एक डस्टबिन रसोई में, और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा, बाहर के डस्ट बिन में डालें. (१८)रसोई में घुसते ही, नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें. (१९)करेले, मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा. (२०)पानी मटके वाले  पानी से ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे. (२१)प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं दोनों केन्सर कारक है. (२२)
माइक्रोवेव, ओवन का प्रयोग कैंसर का कारक है. (२३)खाने की ठंडी चीजें आइस्क्रीम आदि कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं. (२४)बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप आदि से जुड़कर, सब घर पर ही बनाएं. (२५)तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी आदि ठीक रहेंगी. (२६)मैदा, बेसन, छौले, राजमां और उड़द कम खाएँ गैस की समस्या से बचेंगे. (२७)अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे. (२८)बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है. (२९)पानी का फिल्टर RO. वाला हानिकारक है, UV. वाला ही प्रयोग करें, सस्ता भी और बढ़िया भी. (३०)रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इसकी जानकारी करके प्रयोग करें, कराएं. (३१)रात को आधा चम्मच त्रिफला, एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर , इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा, छानने के बाद जो पाउडर बचे, उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें, रात को छानकर पी जाएं, पेट साफ होगा, और शरीर में कोई रोग भी एक साल बाद नहीं बचेगा. (३२)रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी. (३३)रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा, सुबह खाली पेट चबा कर, साथ में वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम. (३४)एक्यूप्रेशर वाले, पिरामिड प्लेटफार्म पर, खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें, तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी. (३५)चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग, दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी. (३६)रसोई के मसालों से बनी, चाय मसाला, स्वास्थ्यवर्धक है. (३७)सर्दियों में नाखून के बराबर, जावित्री, कभी कभी चूसने से, सर्दी के असर से बचाव होगा. (३८)सर्दी में बाहर जाते समय, 2 चुटकी अजवायन, मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा. (३९)रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में, जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से, दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा. (४०)कभी कभी नमक, हल्दी में, 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर, दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता. (४१)बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर, 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर, रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा. (४२)सुबह के खाने के साथ, घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही, जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक का काम करेगा... _/हृदय की बीमारी के आयुर्वेदिक इलाज... कभी भी हृदय को घात हो रहा हो, मतलब दिल की नलियों मे Blockage होना शुरू हो रहा हो, तो इसका मतलब है कि रक्त (Blood) मे Acidity (अम्लता) बढ़ी हुई है, अम्लता आप समझते है, जिसको अँग्रेजी में Acidity भी कहते हैं, यह दो तरह की होती है, एक होती है पेट कि अम्लता, और 
एक होती है रक्त (Blood) की अम्लता, आपके पेट मे अम्लता जब बढ़ती है, तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है, खट्टी खट्टी डकार आ रही है, मुंह से पानी निकल रहा है, और अगर ये अम्लता (Acidity) और बढ़ जाये तो, इसे Hyperacidity कहते हैं, फिर यही पेट की अम्लता, बढ़ते बढ़ते जब रक्त मे आती है, तो रक्त अम्लता(Blood Acidity) होती है, और जब Blood मे Acidity बढ़ती है, तो ये अम्लीय रक्त, दिल की नलियों में से निकल नहीं पाता, और नलियों में Blockage कर देता है, और तभी Heart Attack होता है, इसके बिना Heart Attack नहीं होता, ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है, जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं, क्योंकि इसका इलाज सबसे सरल है... _/एसीडिटी का इलाज क्या है... क्षारीय चीजें ही इसका मुख्य इलाज है, आप जानते हैं, ये दो तरह की चीजे होती हैं, अम्लीय (Acidic) और क्षारीय (Alkaline)... अम्ल और क्षार (Acid and Alkaline) को मिला दें तो क्या होता है, हम सब जानते है, Neutral होता है, वागबट जी लिखते हैं, कि रक्त की अम्लता बढ़ी हुई है, तो क्षारीय (Alkaline) चीजे खाओ, तो रक्त की अम्लता (Acidity) Neutral हो जाएगी, और जब रक्त मे अम्लता Neutral हो गई, तो Heart Attack की, जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं होगी, आपके रसोई घर मे ऐसी बहुत सी चीजे है जो क्षारीय हैं, जिन्हें अगर आप खायें तो कभी भी Heart Attack न आयेगा, और अगर आ गया तो दुबारा नहीं आएगा, आपके घर में जो सबसे ज्यादा क्षारीय चीज है वह है लौकी, इससे ज्यादा कोई क्षारीय चीज ही नहीं है, इसलिये आप हर रोज़ लौकी का रस निकाल कर पियें, या अगर खा सकते हैं, तो कच्ची लौकी खायें, रक्त की अम्लता कम करने की, सबसे ज्यादा ताकत लौकी में ही है, इसलिए आप डेली सुबह खाली पेट, ३०० ग्राम लौकी के रस का सेवन करें, या कच्ची खाएं, इस लौकी के रस को आप और ज्यादा क्षारीय भी बना सकते हैं, जिसके लिए इसमें 7 से 10 पत्ते तुलसी के डाल लें, क्योंकि तुलसी बहुत क्षारीय हैं, इसके साथ आप पुदीने के 7 से 10 पत्ते भी मिला सकते हैं, क्योंकि पुदीना भी बहुत क्षारीय होता है, इसके साथ आप इसमें काला नमक या सेंधा नमक भी जरूर डालें, ये भी बहुत क्षारीय है, याद रखे नमक काला या सेंधा ही डालें, दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डालें, ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है, तो मित्रों, आप इस लौकी के जूस का सेवन जरूर करें, ये 2 से 3 महीने में, आपकी सारी Heart की Blockage ठीक कर देगा,  वैसे तो 21वें दिन ही, आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा, और फिर आपको कोई आपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी, और घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से, इसका कमप्लीट इलाज हो जाएगा, और आपका अनमोल शरीर, और लाखों रुपए आपरेशन के बच जाएँगे, और इससे जो पैसे बच जायें, तो उन्हें अगर इच्छा हो तो, किसी गौशाला मे दान कर दें, क्योंकि डाक्टर को देने से अच्छा है कि किसी गौशाला में दान दे दें... क्योंकि हमारी गौ माता बचेगी, तो भारत बचेगा... _/हल्दी का पानी... पानी में हल्दी मिलाकर पीने से यह 7 फायदें होते हैं... (१)गुनगुना हल्दी वाला पानी पीने से दिमाग तेज होता है, सुबह के समय हल्दी का गुनगुना पानी पीने से दिमाग तेज और उर्जावान बनता है. (२)आप यदि रोज़ हल्दी का पानी पीते हैं, तो इससे खून में होने वाली गंदगी साफ होती है, और खून जमता भी नहीं है, यह खून साफ करता है, और दिल को बीमारियों से भी बचाता है. (३)लीवर की समस्या से परेशान लोगों के लिए, हल्दी का पानी, किसी औषधि से कम नही है, क्योंकि हल्दी का पानी, टाॅक्सिस लीवर के सेल्स को फिर से ठीक करता है, इसके अलावा हल्दी और पानी के मिले हुए गुण, लीवर को संक्रमण से भी बचाते हैं. (४)हार्ट की समस्या से परेशान लोगों को, हल्दी वाला पानी जरूर पीना चाहिए, क्योंकि हल्दी खून को गाढ़ा होने से बचाती है, जिससे हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है. (५)जब हल्दी के पानी में शहद और नींबू मिलाया जाता है, तब यह शरीर के अंदर जमे हुए विषैले पदार्थों को निकाल देता है, जिसे पीने से शरीर पर बढ़ती हुई उम्र का असर नहीं पड़ता है, हल्दी में फ्री रेडिकल्स होते हैं, जो सेहत और सौंदर्य को बढ़ाते हैं. (६)शरीर में किसी भी तरह की सूजन हो, और वह किसी दवाई से ना ठीक हो रही हो, तो आप हल्दी वाला पानी का सेवन करें, हल्दी में करक्यूमिन तत्व होता है, जो सूजन और जोड़ों में होने वाले भयानक दर्द को भी ठीक कर देता है, सूजन की अचूक दवा है हल्दी का पानी. (७) कैंसर खत्म करती है हल्दी, हल्दी कैंसर से लड़ती है, और उसे बढ़ने से भी रोक देती है, क्योंकि हल्दी एंटी कैंसर युक्त होती है, और यदि आप सप्ताह में तीन दिन हल्दी वाला पानी पीएगें, तो आप भविष्य में कैंसर से हमेशा बचे रहेंगे... _/हमारे वेदों के अनुसार स्वस्थ रहने के १५ नियम हैं... (१)खाना खाने के १.३० घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए. (२)पानी घूँट घूँट करके पीना है, जिससे अपनी मुँह की लार, पानी के साथ मिलकर, पेट में जा सके, पेट में Acid बनता है, और मुँह की लार व पेट की छार (Acid) दोनो पेट में बराबर मिल जाएं, तो कोई रोग पास नहीं आएगा. (३)पानी कभी भी ठंडा (फ़्रिज़ का) नहीं पीना है.  कम से कम गरम न सही तो नार्मल ही पीना है. (४)सुबह उठते ही, बिना क़ुल्ला किए, २ ग्लास पानी घूंट घूंट कर पीना चाहिए, क्योंकि रात भर की जो अपने मुँह में लार है, वो अमूल्य है,  उसको पेट में ही जाना ही  चाहिए. (५)खाना जितने आपके मुँह में दाँत हैं, उतनी बार ही चबाना है. (६)खाना ज़मीन में पलोथी मुद्रा में बैठकर या उखड़ूँ बैठकर ही खाना चाहिए. (७)खाने के मेन्यू में, एक दूसरे के विरोधी भोजन, एक साथ ना करें, जैसे दूध के साथ दही, प्याज़ के साथ दूध, दही के साथ उड़द की दlल. (८)समुद्री नमक की जगह, सेंधा नमक या काला नमक ही खाना चाहिए. (९)रीफ़ाइन तेल, डालडा ज़हर है, इसकी जगह अपने इलाक़े के अनुसार सरसों, तिल, मूँगफली या नारियल का तेल उपयोग में लायें, सोयाबीन के कोई भी प्रोडक्ट खाने में ना लें,  इसके प्रोडक्ट को केवल सुअर ही अच्छे से पचा सकते हैं,  आदमी में इसके पचाने के एंज़िम नहीं बनते हैं. (१०)दोपहर के भोजन के बाद, कम से कम ३० मिनट आराम करना चाहिए, और शाम के भोजन बाद ५०० क़दम पैदल चलना चाहिए. (११)घर में चीनी (शुगर) का उपयोग नहीं होना चाहिए, क्योंकि चीनी को सफ़ेद करने में १७ तरह के ज़हर (केमिकल) मिलाने पड़ते हैं, इसकी जगह गुड़ का उपयोग करना चाहिए, और आज कल गुड़ बनाने में कॉस्टिक सोडा (ज़हर) मिलाकर गुड को सफ़ेद किया जाता है, इसलिए सफ़ेद गुड़ ना खायें, प्राकृतिक गुड़ ही खाएं, प्राकृतिक गुड़ चाकलेट कलर का होता है. (१२)सोते समय आपका सिर पूर्व या दक्षिण की तरफ़ होना चाहिए. (१३)घर में कोई भी अलूमिनियम के बर्तन या कुकर नहीं होना चाहिए, हमारे बर्तन मिट्टी, पीतल, लोहा, काँसा, तांबे के होने चाहिए. (१४)दोपहर का भोजन ११ बजे तक अवश्य कर लें, और शाम का भोजन सूर्यास्त तक हो जाना चाहिए. (१५)सुबह भोर के समय तक आपको देशी गाय के दूध से बनी छाछ (सेंधा नमक और ज़ीरा बिना भुना हुआ मिलाकर) पीना चाहिए, यदि आपने ये नियम अपने जीवन में लागू कर लिए, तो आपको डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, और आप की बचत के साथ साथ, देश को कम से कम, ८ लाख करोड़ की वार्षिक बचत होगी, यदि आप बीमार हैं, तो इन नियमों का पालन करने से आपके शरीर के सभी रोग (BP, शुगर,हार्ट अटैक ) आदि, अगले ३ माह से लेकर १२ माह में स्वतह ख़त्म हो जाएँगे... _/सर्दियों में उठायें, मेथी दानों से, भरपूर स्वास्थ्य लाभ... मेथीदाना उष्ण, वात व कफनाशक तथा  पित्तवर्धक, पाचनशक्ति व बलवर्धक एवं ह्रदय के लिए हितकर है, यह पुष्टिकारक, शक्ति व स्फूर्तिदायक, टॉनिक की तरह कार्य करता है, सुबह शाम इसे पानी के साथ निगलने से, यह पेट को निरोगी बनाता है, यह कब्ज व गैस को दूर करता है, इसकी मूँग के साथ सब्जी बनाकर भी खा सकते हैं, यह मधुमेह के रोगियों के लिए खूब लाभदायी हैं, अपनी आयु के जितने वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, उतनी संख्या में मेथीदाने रोज धीरे, धीरे चबाना या चूसना, वृद्धावस्था में पैदा होने वाली व्याधियों, जैसे घुटनों व जोड़ों का दर्द, भूख न लगना, हाथों का सुन्न पड़ जाना, सायटिका, मांसपेशियों का खिंचाव, बार -बार मूत्र आना, चक्कर आना, आदि में लाभ होता है, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को, भुने मेथी दानों का चूर्ण आटे के साथ मिला के लड्डू बना के खाना लाभकारी है... मेथी दाने से शक्तिवर्धक पेय... दो चम्मच मेथी दाने को, एक गिलास पानी में, ५ घंटे भिगोकर रखें, फिर इतना उबालें कि पानी चौथाई रह जाय, इसे छानकर २ चम्मच शहद मिला के पियें, बहुत लाभकारी है... _/मेथी दाने का औषधीय प्रयोग... (१)कब्ज- २० ग्राम मेथीदाने को, २०० ग्राम ताजे पानी में भिगो दें, ६ घंटे बाद उसे उसी पानी में, मसल के पीने से, मल साफ़ आने लगता है, भूख अच्छी लगने लगती है, और पाचन भी ठीक होने लगता है. (२)जोड़ों का दर्द- १०० ग्राम मेथीदाने, अधकच्चे भून के दरदरा कूट लें, इसमें २५ ग्राम काला नमक मिलाकर रख लें, २ चम्मच, यह मिश्रण, सुबह- शाम गुनगुने पानी के संग फाँकने से, जोड़ों कमर व घुटनों का दर्द, आमवात (गठिया) का दर्द आदि में लाभ होता है, इससे पेट में गैस भी नहीं बनेगी. (३)पेट के रोगों में- १ से ३ ग्राम मेथी दानों का चूर्ण, सुबह, दोपहर व शाम को, पानी के साथ लेने से अपच, दस्त, भूख न लगना, अफरा दर्द आदि तकलीफों में बहुत लाभ होता है. (४)दुर्बलता- १ चम्मच मेथी दानों को, देशी घी में भून के सुबह- शाम लेने से, रोगजन्य शारीरिक एवं तंत्रिका दुर्बलता दूर होती है. (५)मासिक धर्म में रुकावट- ४ चम्मच मेथीदाने को, १ गिलास पानी में उबालें, आधा पानी रह जाने पर, छानकर गरम गरम (चाय जितना) ही लेने से, मासिक धर्म खुल के होने लगता है. (६)अंगों की जकड़न- भुनी मेथी के आटे में, गुड़ की चाशनी मिला के, लड्डू बना लें, १ लड्डू रोज सुबह खाने से, वायु के कारण जकड़े हुए अंग, १ सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, तथा हाथ, पैरों आदि में होने वाला दर्द भी दूर होता है. (७)विशेष- सर्दियों में मेथीपाक" मेथी के लड्डू" मेथी दानों व मूँग की दाल की सब्जी आदि के रूप में इसका सेवन खूब लाभदायी हैं (८)खाने के तुरंत बाद पेशाब जरूर करना चाहिए, और सोना बाईं करवट चाहिए, उठना ब्रम्ह मुहूर्त (सूर्योदय के एक घंटा पहले) में चाहिए, शरीर से खूब पसीना आ जाय, इतनी शारीरिक मेहनत २४ घंटे में कम से कम २ बार जरूर करनी चाहिए, मन में हर समय, हर स्तिथि में, अपने आराध्य प्रभू का स्मरण जरूर करना चाहिए, किसी को कभी भी कोई पीड़ा नहीं देनी चाहिए, उपरोक्त सभी कार्यादी सम्पूर्ण सम्पन्न करने वाले नर, नारी १११ वर्ष तक निरोगी व स्वस्थ जीवन पा सकते हैं... _/IMPORTANT HEART ATTACK" और गर्म पानी पीना... यह भोजन के बाद गर्म पानी पीने के बारे में ही नहीं, Heart Attack के बारे में भी एक अच्छा नुस्खा है... एक गिलास गुनगुना पानी, सोने से ठीक पहले पीना चाहिए, इससे खून के थक्के नहीं बनेंगे, और आप हृदयाघात से बचे रहेंगे... यदि इस संदेश को पढ़ने वाला, प्रत्येक व्यक्ति, इसे १० लोगों को भेज दे, तो वह कम से कम, एक जान तो बचा ही सकता है... सुस्वागतम्... साभार... जय श्री गणेश...

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