गौर से सोचिए मेरे सरकार...

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...सुस्वागतम्... साभार... गौर से सोचिए मेरे सरकार...  है न बात, बहुत ही मजेदार... चालीस साल पहले, बच्चे अपने माता-पिता के साथ, सनातन शिष्टाचार और सम्मान के साथ प्यार का व्यवहार करते थे... अब माता- पिता तथा स्वजनों को, अपने बच्चों व छोटों के साथ, अति सम्मान के साथ, व्यवहार करना पड़ता है।। चालीस साल पहले, हर कोई कई बच्चे, बड़ा परिवार चाहता था... अब हम सब कई बच्चे, बड़ा परिवार होने से डरते हैं।। चालीस साल पहले, हम सब का विवाह करना आसान था, और तलाक, तोडना, छोड़ना मुश्किल था... अब शादी, विवाह करना बड़ा मुश्किल है और तलाक लेना, परिवार तोड़ना, बहुत ही आसान है।। चालीस साल पहले, लोग कड़ी मेहनत करने के लिए, ताकत हासिल करने के लिए ,बहुत कुछ, हेल्दी चीजें खाते थे... अब लोग कोलेस्ट्रॉल और कैलोरी के डर से, ज्यादा हेल्दी खाने से डरते हैं।। चालीस साल पहले, देहात से ग्रामीण नौकरी, काम की तलाश में शहर आते थे... अब शहर के लोग, तनाव और शांति से राहत की तलाश में, देहात, गांवों आदि में जाते हैं।। चालीस साल पहले अमीर लोग, यह दिखाने के लिए संघर्ष करते थे, कि वे गरीब हैं... अब गरीब लोग, अमीर होने का दिखावा करने की कोशिश में न जानें क्या क्या करते हैं।। चालीस साल पहले, एक व्यक्ति, ४० लोगों का अकेले परिवार मज़े से चला रहा था... अब हम सभी नौकरी, और न जाने क्या क्या करते हैं, मरते, खपतें हैं, अपने परिवार में, सिर्फ एक बच्चे के लिए।। अब आप स्वयं बताइए... इसे प्रगति कहना चाहिए या पतन ..??.. अगर है ये हमारा पतन... तो इस पर आओ मिलकर करें कुछ जतन... और दिल से सोंचे कि हम कहाँ हैं, और यहां कैसे पहुँच गए हैं... है ना बहुत ही मजेदार बात... साभार... सुस्वागतम्... जय श्री गणेश...

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