Home विविध लखनऊ-उ. प्र. रंग मंच एवं कार्यक्रम जिंदगी को दिशा देती सिंधी सांस्कृतिक परम्पराएं पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

जिंदगी को दिशा देती सिंधी सांस्कृतिक परम्पराएं पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन

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  उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा आज दिनांक 20 जून 2021 को ऑनलाइन वेबीनार विषय- ’’जिंदगी खे दिशा डींदड़ सिंधी सकाफती रवायतू’’ (जिंदगी को दिशा देती सिंधी सांस्कृतिक परम्पराएं) पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

      कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अकादमी उपाध्यक्ष श्री नानक चंद लखमानी जी द्वारा वेबीनार में उपस्थित वक्ताओं अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमिक कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के संबंध में अवगत कराया गया। अवगत कराया गया कि कोविड-19 महामारी के कारण अकादमी द्वारा आनलाईन संगोष्ठी, लोकगीत, सिंधी भगत, सिंधी छात्र प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है। वर्तमान में सिन्धी गायन प्रतियोगिता का आयोजन बाबा ठाकुरदास इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य श्री सुधामचंद चदवानी (मो0 नं0 9335925927) के संयोजकत्व में किया जा रहा है।  कार्यक्रम में 10 वर्ष से लेकर वरिष्ठ जन उक्त प्रतियोगिता मे सम्मिलित होने हेतु कार्यक्रम संयोजन के उपरोक्त मोबाईल नंबर पर सिंधी गायन के विडियों बनाकर भेज सकते है। अकादमी द्वारा दिनांक 27 जून, 2021 को सिंधी भाषा में वैदिक गणित के संबंध में आनलाईन कार्यक्रम कराया जाना प्रस्तावित है।

      वेबीनार में 05 वक्ताओं क्रमशः डा0 जेठो लालवानी, अहमदाबाद, डा0 सुरेश बबलानी, अजमेर, श्रीमती रीतू आर भाटिया, अहमदाबाद, श्री नरेश कुमार बजाज, गोरखपुर, श्रीमती स्वाती पंजवानी, लखनऊ द्वारा अपने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए गए। 

डा0 जेठो लालवानी द्वारा अपने वक्ताओं द्वारा अवगत कराया गया है कि ’’लोक संस्कृति किसी भी राष्ट्र का अस्मिता मंत्र है। परम्पराओं के युगानुरूप शोधन-परिशोधन करते हुए यह मनुष्य के प्रकृति और सहज रूप में संशोधित है।................संस्कृति सीखने की प्रक्रिया एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलती रहती है। अतः सीखा हुआ व्यवहार संस्कृति सकाफत सिंधी समाज में किसी रूप में सर्वत्र व्याप्त है, की ओर दिशा निर्देश करते सिन्धी सकाफत की विशालता को समझाने का प्रयास किया गया है।’’ 

डाॅ0 सुरेश बबलानी, अजमेर द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया है कि ’’सिंधु संस्कृति एक प्राचीन संस्कृति है जिसने भारतीय समाज को ही नहीं अपितु विदेशों में भी अपनी पहचान स्थापित की है। सिंधी समाज सुसंस्कृत है इसलिए यह समाज आर्य समाज भी कहलाता है। आर्य अर्थात सर्वश्रेष्ठ । और इसकी सामाजिक रीति नीतियां और परंपराएं विज्ञान पर आधारित है यदि हम इनका गहराई से अध्ययन करेंगे तो हमें ज्ञात होगा कि प्रत्येक दिन की दिनचर्या न केवल आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार है किंतु वह वैदिक संस्कृति के अनुरूप भी है।’’

 कार्यक्रम में उपस्थित वक्ता श्री नरेश कुमार बजाज, श्रीमती रीतू भाटिया, श्रीमती स्वाती पंजवानी द्वारा अपने अपने वक्तव्य के माध्यम से सिंधी संस्कृतिक परम्पराओं के अन्तर्गत सिंधी लोक कथाओं, सिन्धी भगति, सिन्धी खानपान, रीति रिवाजों पर प्रकाश डालते हुए भाषा को बढ़ावा दिए जाने हेतु सुझाव दिए गए। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रताप पंजानी द्वारा सिंधी सांस्कृतिक परम्पराओं के संबंध मंे प्रकाश डाला गया। इसके साथ ही उनके द्वारा राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद, नयी दिल्ली तथा प्रदेश की अन्य संस्थाओं/अकादमियों की योजनाओं को साझा किये जाने का सुझाव भी दिये गये।
         कार्यक्रम में कार्यक्रम संचालन का कार्य श्री प्रकाश गोधवानी, लखनऊ द्वारा किया गया।
         अकादमी के उपाध्यक्ष जी द्वारा वेबीनार में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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