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क्या कहा! एक कहानी: डॉ सत्य प्रकाश

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ज़ी पूछ रहा हूँ! क़्या कहा था उसने! यह बंधन बर्बाद कर दिया! Lockdown ने कही का न छोड़ा... जीवन की सभी सम्भावना और जीवनचर्या क़ो बर्बाद कर दिया..

करोङो लोगों की तरह मेरे जीवन से जुड़े कई साथियों और परिवार के सदस्यों ने अपना कारोबार बर्बाद होते देखा..बहुत कुछ नहीं हो पा रहा... बच्चे परिवार अब तक तो कही न कही निकल गए होते घूमने और अपने मन की हाट बाज़ार करने...ख़ुश नहीं है सब..

मेरे साथियो ने भी ऐसा ही अनुभव किया.. मेरे परिवार ने भी....

पर आज तक पता नहीं क्यों मै पूरे मन से इस महामारी क़ो... इस lockdown क़ो बुरा न कह पाया..

और इसी बात क़ो तुमने फिर आज पूछा... क़्या कहा!

हा सच कह रहा हूँ!
जीवन के लगभग 20 वर्ष लॉकडाउन में रखें मैंने! पढ़ाई के समय जो आजादी जिया और जो उम्मीद क़ो देखा.. वह 2020 तक जैसे न दिखा... तुम भी तो न दिखे... आज यह लॉकडाउन आया और पता नहीं कहा से वह शक्ति मिल गयी... ख़ुद क़ो खोजने की... तुम तक पहुंचने की... तुमको सुनने की और तुमको सुनाने की...

टूटा न... लॉकडाउन...!?
और इसीलिए मै न उस परिस्थिति क़ो ख़राब कह पाया जब सब आजाद थे... और न इस परिस्थिति क़ो ज़ब मै भी थोड़ा आजाद महसूस करता हूँ...

तुम सोचना!
क़्या कहा!


डॉ सत्य प्रकाश
वैज्ञानिक, BHU एवं संस्थापक डॉ सत्या होप टॉक

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