Home हलचल सियासत राहुल के बाद अब राज्यसभा से हटाई गई अडानी पर खड़गे की टिप्पणी, उपराष्ट्रपति को लिखा पत्र

राहुल के बाद अब राज्यसभा से हटाई गई अडानी पर खड़गे की टिप्पणी, उपराष्ट्रपति को लिखा पत्र

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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की कुछ टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया। अपने भाषण में उनके द्वारा की गई छह टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से हटाया गया है।

इसके विरोध में खड़गे गुरुवार को सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा। पत्र में कहा गया कि सरकार की और उसकी नीतियों की कोई भी आलोचना सदन की गरिमा को कभी कम नहीं कर सकती है।

हाल के वर्षों में अडानी समूह की तेज वृद्धि पर सवाल उठाते हुए, खड़गे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साधा था। इससे उच्च सदन में जमकर हंगामा हुआ। खड़गे ने अडानी समूह के मामलों की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की भी मांग की थी। इस दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कई बार हस्तक्षेप किया और खड़गे से दस्तावेजों के साथ अपने आरोपों को "प्रमाणित" करने के लिए कहा।

अब राज्यसभा के सभापति को लिखे अपने पत्र में, खड़गे ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 105 सदन में सांसदों के लिए बोलने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है और सदन के पटल पर भाषण में दिए गए बिंदुओं के प्रमाणीकरण का कोई प्रावधान या प्रावधान नहीं है। उन्होंने धनखड़ को पत्र लिखकर कहा कि सदस्यों को सदन के भीतर अपनी बात रखने का संवैधानिक अधिकार है तथा कोई भी निर्देश एवं नियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी को पलट नहीं सकता।

उन्होंने यह आग्रह भी किया कि वह सदन में सदन के नियमों के प्रावधानों और परंपराओं को देखें और सदन के भीतर सदस्यों के अधिकारों एवं विशेषाधिकारों की रक्षा करें। खड़गे ने पत्र में कहा, ‘‘भारत की संसद एक ऐसा मंच है जहां कार्यपालिका की जवाबदेही तय की जाती है। यह जरूरी होता है कि सरकार की नीतियों और फैसलों पर सदन के भीतर चर्चा की जाए। सरकार की नीतियों और निर्णयों तथा उनके नतीजों की आलोचना को सदन के किसी सदस्य के खिलाफ आरोप नहीं कहा जा सकता।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘सरकार, उसकी नीतियों और उसके प्रभावों की आलोचना को ‘परिषद की गरिमा’ से नहीं जोड़ा जा सकता। यह तय करना मुश्किल है कि संसदीय लोकतंत्र में नीतियों और उनके नतीजों की आलोचना करके जनहित की कोई सेवा नहीं होती।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भारत के संविधान का अनुबंध 105 संसद सदस्यों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। सदन के नियम के तहत किसी सदस्य को उसी दस्तावेज को सत्यापित करना होता है जो वह सदन के पटल पर रखता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई परंपरा और प्रावधान नहीं है कि सदन के भीतर दिए गए वक्तव्य में की गई बातों को सत्यापित किया जाए। सदन का कोई निर्देश या नियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी पलट नहीं सकता।’’ खड़गे ने यह भी कहा कि उनकी ओर से की गई किसी भी बात में कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि सदन के नियमों के प्रावधानों और परंपराओं को देखें और सदन के भीतर सदस्यों के अधिकारों एवं विशेषाधिकारों की रक्षा करें।’’

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग ले रहे नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने अडानी समूह से जुड़े मामले को लेकर कुछ आरोप लगाए थे। इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने खड़गे से कहा था कि वह ऐसा आरोप नहीं लगाएं जिसे वह सत्यापित नहीं कर सकते। धनखड़ ने कहा था कि सदन में किसी को भी, किसी भी तरह के आरोप लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

राहुल की टिप्पणियों को हटाकर लोकसभा में लोकतंत्र खत्म किया गया: कांग्रेस

इससे पहले कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि लोकसभा में अडानी समूह से जुड़े मामले को लेकर राहुल गांधी की ओर से की गई टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाकर सदन में लोकतंत्र को खत्म किया गया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री से जुड़े अडाणी महाघोटाले पर राहुल गांधी की टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाये जाने के साथ लोकसभा में लोकतंत्र का दाहसंस्कार कर दिया गया। ओम शांति।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडानी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया था कि 2014 में केंद्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी के आने बाद ऐसा ‘असली जादू’ हुआ कि आठ वर्षों के भीतर उद्योगपति गौतम अडाणी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह दावा भी किया था कि मौजूदा सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडाणी समूह को दिए गए। राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों को आसन के निर्देश पर कार्यवाही से हटाया गया है।

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