Home हलचल सियासत नीतीश कुमार को 28 दिन की समाधान यात्रा से क्या मिला, जेडीयू को 2024 चुनाव में कितना फायदा?

नीतीश कुमार को 28 दिन की समाधान यात्रा से क्या मिला, जेडीयू को 2024 चुनाव में कितना फायदा?

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बिहार में समाधान यात्रा खत्म हो गई है। सीएम नीतीश की यात्रा 5 जनवरी को पश्चिमी चंपारण जिले से शुरू हुई थी, जो गुरुवार को पटना में खत्म हुई। इस दौरान सीएम ने 28 दिन तक राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा किया और विकास कार्यों का जायजा लिया।

नीतीश की इस यात्रा से जेडीयू कार्यकर्ताओं का जोश हाई हो गया है। वे जहां-जहां गए, वहां जेडीयू नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नीतीश के 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री दावेदार बनने के पक्ष में माहौल बनाया। हालांकि, सीएम खुद को पीएम कैंडिडेट मानने से बचते रहे। आइए जानते हैं कि नीतीश की समाधान यात्रा से 2024 चुनाव में जेडीयू और महागठबंधन को कितना फायदा होगा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाधान यात्रा के तहत राज्य के अधिकतर जिलों का दौरा किया। हर जिले में उनका कार्यक्रम लगभग एक जैसा रहा। जिस जिले में सीएम नीतीश की समाधान यात्रा होती, वहां के एक-दो गांवों का पहले से चयन कर दिया जाता। सड़कों को दुरुस्त किया जाता, सरकारी इमारतों का रंगरौगन किया जाता। मुख्यमंत्री उन गांवों का दौरा करते और वहां के विभिन्न विकास कार्यों का जायजा लेते। इस दौरान कई जगहों पर उन्होंने स्थानीय लोगों से बात भी की और उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की। इसके अलावा हर जिले में उन्होंने जीविका दीदियों से संवाद किया और फिर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।

नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि उनकी समाधान यात्रा बहुत अच्छी रही। उन्होंने विकास कार्यों का जायजा लिया, जहां कोई काम अधूरा रह गया उसे लेकर निर्देश दिए गए। उन्हें पूरा किया जाएगा। दूसरी ओर, विपक्ष इसे टाइम पास यात्रा बता रहा है। बीजेपी का कहना है कि समाधान यात्रा के दौरान नीतीश कुमार बिहार की असलियत को नहीं जान पाए। उन्हें जो अधिकारी दिखा रहे थे, उन्होंने वो ही देखा। साथ ही यात्रा में सीएम ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखी।

नीतीश की छवि बदली?

सीएम नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देशभर के विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं। हालांकि, जेडीयू नेताओं का कहना है कि समाधान यात्रा का 2024 चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है। मगर इस यात्रा से पार्टी ने नीतीश कुमार की छवि को सुधारने की कोशिश की। पिछले साल जेडीयू के बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी-कांग्रेस और अन्य दलों के साथ सरकार बनाने के बाद कानून व्यवस्था, शराबबंदी समेत अन्य मुद्दों पर सवाल उठने लगे थे। बीजेपी लगातार बिहार में जंगलराज की वापसी के आरोप लगा रही है। इसी छवि को बदलने के लिए समाधान यात्रा निकाली गई, जिसमें जेडीयू कुछ हद तक सफल भी हुई। हालांकि, इसका लोकसभा चुनाव में कितना फायदा होगा, यह तो बाद में ही पता चलेगा।

अब देश की यात्रा पर जाएंगे नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने कहा था कि वे जल्द ही देश की यात्रा पर जाएंगे। समाधान यात्रा के बाद बिहार विधानसभा का बजट सत्र होगा। उससे निपटने के बाद वे देश की यात्रा पर निकलेंगे और ठंडे बस्ते में चल रही उनकी विपक्षी एकजुटता की मुहिम को तेज करेंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले महीने से वे विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करने के लिए निकल सकते हैं।

पीएम कैंडिडेट के रूप में नीतीश कितने मजबूत?

जेडीयू नेता नीतीश कुमार को 2024 का विपक्षी पीएम कैंडिडेट मान रहे हैं। समाधान यात्रा के दौरान जगह-जगह उनके समर्थकों ने 'देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो' के नारे लगाए। मगर सीएम नीतीश का कहना है कि उनकी पीएम बनने की कोई इच्छा नहीं है। कार्यकर्ता ऐसे ही नारेबाजी कर रहे हैं। हालांकि, जेडीयू के साथ-साथ आरजेडी भी नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है। लेकिन महागठबंधन में शामिल दूसरे दल इस पर एकमत नहीं हैं।

कांग्रेस नीतीश कुमार को विपक्षी पीएम कैंडिडेट बनाने पर सहमत नहीं हैं। वह राहुल गांधी को इसका दावेदार मानती है। कांग्रेस का कहना है कि राहुल राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और वे ही विपक्ष के मजबूत लीडर हो सकते हैं। इस कारण पीएम कैंडिडेट के मसले पर विपक्षी दलों में एकजुटता बनना टेढ़ी खीर है। क्या नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने और खुद को प्रधानमंत्री पद का मजबूत दावेदार बनाने में सफल हो पाएंगे? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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