Home हलचल सियासत बाप का बन रहा माहौल, बेटा न कर दे खेल; बीएस येदियुरप्पा का कद बढ़ने से कर्नाटक भाजपा में बेचैनी

बाप का बन रहा माहौल, बेटा न कर दे खेल; बीएस येदियुरप्पा का कद बढ़ने से कर्नाटक भाजपा में बेचैनी

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कर्नाटक में सत्ता में वापसी की कवायद में लगी भाजपा के सामने अचानक एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। जिस बीएस येदियुरप्पा को भाजपा यहां पर अपनी उम्मीदों के खेवनहार के रूप में देख रही है, उनका बढ़ता कद स्थानीय नेताओं को रास नहीं आ रहा।

असल में इन नेताओं को डर है बीएस येदियुरप्पा के बेटे से। उन्हें आशंका सता रही है कि कहीं बाप के बढ़ते कद का फायदा उठाकर बेटा खेल न कर दे। यह चिंता भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा दी गई है। फिलहाल दो केंद्रीय नेता अरुण सिंह और धर्मेंद्र प्रधान मामले को संभाल रहे हैं।

येदियुरप्पा की बढ़ती डिमांड
साल 2021 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद येदियुरप्पा काफी लो प्रोफाइल रह रहे हैं। हालांकि चुनाव करीब आने के बाद से येदियुरप्पा एक बार फिर से डिमांड में हैं। यहां पर लिंगायत समुदाय को रिझाने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व येदियुरप्पा को खूब तवज्जो दे रहा है। उनको रिझाने के जतन में पीएम मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक लगे हुए हैं। अगर देखा जाए तो काफी हद तक चुनाव की कमान येदियुरप्पा के हाथ में ही सौंप दी गई है।

कर्नाटक भाजपा में हलचल
केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले ने कर्नाटक भाजपा में खासी हलचल मचा दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक लिंगायत-पंमासाली सब सेक्शन, वोकालिगा और ओबीसी से जुड़े विभिन्न नेता काफी परेशान हैं। असल में उनकी परेशानी की वजह बीएस येदियुरप्पा नहीं, बल्कि उनका बेटा बीवाई विजयेंद्र है। अपने पिता के मुख्यमंत्री रहते हुए विजयेंद्र ने काफी प्रभाव जमाया हुआ था। अब इस चुनाव में भी उनके पिता को महत्व दिया जा रहा है। वहीं, ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि विजयेंद्र को शिवमोगा की उनके पारिवारिक पकड़ वाली सीट शिकारीपुर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

कई नेताओं में असंतोष
इस बात ने कई नेताओं के तेवर बदल दिए हैं। जहां एक तरफ लिंगायत समुदाय के नेता पाटिल यतनाल और अरविंद बेलाद इससे परेशान हैं। वहीं, वोकालिगा नेताओं सीटी रवि, सीपी योगेश्वर, सीएम अश्वथ नारायण भी इसको लेकर बहुत सहज नहीं हैं। वरिष्ठ लिंगायत मंत्री वी सोमन्ना ने तो खुलेआम विद्रोह कर दिया है और भाजपा छोड़ने तक का संकेत दे डाला है। इस सबको देखते हुए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी सतर्क हो गया है। डैमेज कंट्रोल के लिए अरुण सिंह और धर्मेंद्र प्रधान को यहां पर भेजा गया है।

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