Home अभिमत सम्पादकीय होली भारत का एक विशिष्ट आध्यात्मिक त्योहार है

होली भारत का एक विशिष्ट आध्यात्मिक त्योहार है

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होली भारत का एक विशिष्ट सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्यौहार है। अध्यात्म का अर्थ है मनुष्य का ईश्वर से संबंधित होना या स्वयं का स्वयं के साथ संबंधित होना है। इसलिए होली मानव का परमात्मा से एवं स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। होली रंगों का त्यौहार है। रंग सिर्फ प्रकृति और चित्रों में ही नहीं हमारी आंतरिक ऊर्जा में भी छिपे होते हैं, जिसे हम आभामंडल कहते हंै। एक तरह से यही आभामंडल विभिन्न रंगों का समवाय है, संगठन है। हमारे जीवन पर रंगों का गहरा प्रभाव होता है, हमारा चिन्तन भी रंगों के सहयोग से ही होता है। हमारी गति भी रंगों के सहयोग से ही होती है। हमारा आभामंडल, जो सर्वाधिक शक्तिशाली होता है, वह भी रंगों की ही अनुकृति है। पहले आदमी की पचहान चमड़ी और रंग-रूप से होती थी। आज वैज्ञानिक दृष्टि इतनी विकसित हो गई कि अब पहचान त्वचा से नहीं, आभामंडल से होती है। होली का अवसर अध्यात्म के लोगों के लिये ज्यादा उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसलिये अध्यात्म एवं योग केे विशेषज्ञ विभिन्न रंगों के ध्यान एवं साधना के प्रयोगों से आभामंडल को सशक्त बनाते हैं। इस तरह होली कोरा आमोद-प्रमोद का ही नहीं, अध्यात्म का भी अनूठा पर्व है।

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