Home अभिमत सम्पादकीय शत शत नमन जय मंगल पांडे जय हिंदुस्तान इंकलाब जिंदाबाद

शत शत नमन जय मंगल पांडे जय हिंदुस्तान इंकलाब जिंदाबाद

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आजादी की लड़ाई के अगदूत कहे जाने वाले मंगल पांडे का जन्म 30 जनवरी 1831 को बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे एवं माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। उनका जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार  मे हुआ था।1849 में जब वे 22 साल के थे, तभी से वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और मंगल बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34 वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही रहे। उसके बाद क्रांति की एक लहर उनके मन में 1851 में जब  नई राइफल के नए कारतूस आए तो उनमें सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी जिसकी जानकारी उनको एक हमारे भाई ने दी तो उनके मन में एक सवाल उठा और उन्होंने अपने मित्र जो उनके अफसर थे उनसे किया लेकिन उन्हें झूठ बोलकर संतोष कर दिया उसके बाद 1857  मैं वही मित्र उनको कोलकाता ले गया जिसने यह बताया था कि उसमें सूअर और गाय की चर्बी है जहां वह कारतूस बनते थे जब उन्होंने बह कारतूस अपनी आंखों से बनते देखा जिसमें सूअर और गाय की चर्बी लगी हुई थी तब मुसलमान भाई और हिंदू भाइयों की आंखें खोल उठी उसके बाद मंगल पांडे  से रहा नहीं गया और अपने अफसर मित्र से बगावत और अंग्रेजो के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया और अंग्रेजों से लड़ते हुए देश के लिए कुर्बानी दी.चुंकि  अंग्रेजो  के  खिलाफ  सबसे  पहिले इस  ब्राह्मण  योद्धा  ने  बिद्रोह किया  इसलिए  अंग्रेजो  को  लगा  कि  ब्राह्मण  ही  ऐसी  जाति  है  जो  अन्याय  अत्यचार के  खिलाफ  क्रांति करेगी  तभी  से  अंग्रेजो  नेसेना  मै   "ब्राह्मण रेजिमेंट " खत्म  कर  दी  थी llशत शत नमन ऐसे वीर योद्धा को  जय मंगल पांडे जय  हिंदुस्तान इंकलाब जिंदाबाद वन्देमातरम

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