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परीक्षा पर प्रश्न ही प्रश्न

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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं के दौरान इस बार जिस तरह से परचे लीक हुए, उससे तो लग रहा है कि हमारी शिक्षा प्रणाली के परीक्षा तंत्र का भट्ठा बैठ चुका है। परचे लीक होने की घटनाओं से सीबीएसई की साख सवालों के घेरे में आ गई है। परीक्षा की शुचिता और निष्पक्षता को लेकर जो सवाल उठे हैं, उनका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। ऐसे में बच्चे कितना भी अच्छा क्यों न करें, उनके मन में जो डर और संदेह बैठ जाता है, वह दूर नहीं किया जा सकता। परचे लीक होने की पहली घटना 13 मार्च को सामने आई थी, जब बारहवीं का रसायन विज्ञान का परचा लीक हुआ। तब बोर्ड ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके दो दिन बाद ही 15 मार्च को बारहवीं का ही अकाउंटेंसी का परचा लीक हो गया। इसे भी बोर्ड ने महज अफवाह देकर पल्ला झाड़ लिया। फिर 21 मार्च को बारहवीं का गणित का परचा वायरल हो गया, तब बोर्ड ने कहा कि यह पिछले साल का पेपर था। लेकिन जब 26 मार्च को बारहवीं का अर्थशास्त्र और 28 मार्च को दसवीं का गणित का परचा लीक हुआ, तो बोर्ड की आंख खुली। तत्काल दोबारा परीक्षा कराने का फैसला किया गया।एक पखवाड़े के दौरान जिस तरह से परचे लीक होने की घटनाएं और अफवाहें चलतीं रहीं, उसने सीबीएसई की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। आखिर क्यों नहीं समय रहते बोर्ड चेता और सतर्कता बरती। इसमें कोई दोराय नहीं कि प्रश्नपत्र जिस कड़ी सुरक्षा में रखे रहते हैं और लाए-ले जाए जाते हैं, उन्हें लीक कर पाना आसान नहीं है। पर सवाल उठता है कि सुरक्षा में ऐसी चूक कहां रह गई कि परचे किसी व्यक्ति या गिरोह के हाथ लग गए? यह गंभीर जांच का विषय है। सीबीएसई की साख पुख्ता परीक्षा तंत्र के दम पर ही बनी है। बोर्ड इंजीनियरिंग और मेडिकल में दाखिले के लिए नीट जैसी परीक्षाओं के अलावा नेट और जवाहर नवोदय विद्यालय में दाखिले के लिए भी प्रवेश परीक्षाएं कराता है। बोर्ड का मजबूत सुरक्षा तंत्र है। फिर भी अगर परचे लीक होते हैं तो जाहिर है खामी इसी तंत्र के भीतर कहीं होगी, जिसका पता लागाया जाना चाहिए।परचे लीक होने का सबसे ज्यादा खमियाजा उन लाखों बच्चों को भुगतना पड़ रहा है जो अपना भविष्य बनाने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहे हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि परचा लीक होने पर उन्हें किस मानसिक यातना से गुजरना पड़ा है। ऐसे में कई बार परेशान होकर बच्चे गलत कदम उठाने को मजबूर हो सकते हैं। परीक्षाओं को पूरी तरह चाक-चौबंद कैसे बनाया जाए, बोर्ड के लिए यह गंभीर चुनौती है। हालांकि मानव संसाधन विकास मंत्री ने अब परीक्षा केंद्रों को इलेक्ट्रॉनिक कोड-युक्त पेपर देने की व्यवस्था लागू करने की बात कही है। ये परचे केंद्र पर आधे घंटे पहले ही पहुंचेंगे और इनका प्रिंट बच्चों को दिया जाएगा। इसमें कोई शक नहीं कि यह व्यवस्था पूरी तरह सुरक्षित होगी। फिर भी इसकी सुरक्षा की क्या गारंटी होगी, इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। यह साइबर अपराध का जमाना है। कर्मचारी चयन आयोग की आॅनलाइन परीक्षा में जिस तरह का घोटाला सामने आया है वह आंखें खोल देने वाला है। परीक्षा तंत्र में सेंध लगाने वालों को जल्दी से जल्दी पकड़ा जाना चाहिए।

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