Home धर्म-संसार अध्यात्म इस दिन से शुरू होने जा रहा है चातुर्मास, 5 महीने तक नहीं कर सकेंगे ये काम

इस दिन से शुरू होने जा रहा है चातुर्मास, 5 महीने तक नहीं कर सकेंगे ये काम

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हिंदू धर्म में चातुर्मास को बेहद खास माना जाता है।

चातुर्मास यानी वे चार महीने जब देवता शयन करते हैं, जिसमें सूर्य दक्षिणायन में होते हैं और सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि योगनिद्रा के लिए क्षीरसागर जाते हैं और वहां चार महीने तक विश्राम करते हैं. इस चार मास की अवधि को चतुर्मास कहा जाता है। देवताओं के सोने के समय शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस साल चातुर्मास 4 की जगह 5 महीने का रहेगा, शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। आइए जानते हैं चतुर्मास कब से शुरू होता है, इस दौरान क्या करें और क्या न करें।

चातुर्मास 2023 कब तक?
पंचांग के अनुसार इस वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को है, इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है। चतुर्मास का समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को होता है। ऐसे में चातुर्मास की समाप्ति 23 नवंबर 2023 को होगी।

इस साल चातुर्मास 5 महीने का रहेगा
साल 2023 में भी अधिकमास पड़ रहा है, ऐसे में सावन 59 दिन यानी दो महीने का रहेगा। यही कारण है कि इस वर्ष चातुर्मास की अवधि 5 माह रहेगी। ऐसे में कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी पर जब भगवान विष्णु नींद से जागेंगे और उसके बाद ही सभी शुभ कार्य फिर से शुरू होंगे. इस साल लोगों को शादी, मुंडन आदि शुभ कार्यों के लिए 5 महीने का इंतजार करना पड़ रहा है।

चातुर्मास में ये कार्य वर्जित हैं
चातुर्मास में विवाह समारोह, गृहप्रवेश, भूमिपूजन, मुंडन, तिलकोत्सव आदि नहीं किए जाते हैं। चातुर्मास में ऐसा करने से अशुभ फल मिलता है। इस दौरान कोई नया व्यवसाय शुरू नहीं करना चाहिए। चातुर्मास में साधु-महात्मा भी एक स्थान पर रुकते हैं और भगवान की पूजा करते हैं। इसलिए चातुर्मास का व्रत करने वाले लोगों को यात्रा करने से बचना चाहिए।

चतुर्मास में अवश्य करना चाहिए यह कार्य
चातुर्मास के दौरान भक्तों को एकांत में रहना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जमीन पर सोना चाहिए।
ये चार महीने जप, तप और मंत्र जाप के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं। कहा जाता है कि जब देवी-देवता सोते हैं तो नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होती है। इसके अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए मंत्रों का जाप लाभकारी माना जाता है।
चातुर्मास में केवल एक समय भोजन करना। तेल, शहद, मूली, परवर, बैंगन, सब्जी आदि का सेवन वर्जित माना गया है। कहा जाता है कि इससे सेहत पर असर पड़ सकता है।

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