Home धर्म-संसार अध्यात्म हर शुक्रवार करें ये आसान उपाय, सौभाग्य में होगी वृद्धि

हर शुक्रवार करें ये आसान उपाय, सौभाग्य में होगी वृद्धि

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 सप्ताह में शुक्रवार का दिन देवी आराधना को समर्पित होता हैं और समर्पित दिनों में देवी देवताओं की पूजा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं ऐसे में हर कोई आज के दिन देवी आराधना में लीन रहता हैं मान्यता है कि इस दिन देवी पूजा करने से साधक के सभी दुखों का अंत हो जाता हैं।

 

अगर आप भी माता की कृपा पाना चाहते हैं तो आज के दिन माता पार्वती का ध्यान करते हुए श्री मंगला गौरी स्तोत्र का विधिवत पाठ करें मान्यता है कि इस चमत्कारी पाठ को हर शुक्रवार के दिन करने से सौभाग्य में वृद्धि होती हैं और वैवाहिक जीवन में सुख शांति बनी रहती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।

श्री मंगला गौरी स्तोत्र-

देवि त्वदीयचरणाम्बुजरेणु गौरीं
भालस्थलीं वहति यः प्रणतिप्रवीणः ।
जन्मान्तरेऽपि रजनीकरचारुलेखा
तां गौरयत्यतितरां किल तस्य पुंसः ॥ १ ॥

श्रीमङ्गले सकलमङ्गलजन्मभूमे
श्रीमङ्गले सकलकल्मषतूलवह्ने ।
श्रीमङ्गले सकलदानवदर्पहन्त्रि
श्रीमङ्गलेऽखिलमिदं परिपाहि विश्वम् ॥ २ ॥

विश्वेश्वरि त्वमसि विश्वजनस्य कर्त्री
त्वं पालयित्र्यसि तथा प्रलयेऽपि हन्त्री ।
त्वन्नामकीर्तनसमुल्लसदच्छपुण्या
स्रोतस्विनी हरति पातककूलवृक्षान् ॥ ३ ॥

मातर्भवानि भवती भवतीव्रदुःख-
-सम्भारहारिणि शरण्यमिहास्ति नान्या ।
धन्यास्त एव भुवनेषु त एव मान्या
येषु स्फुरेत्तवशुभः करुणाकटाक्षः ॥ ४ ॥


ये त्वा स्मरन्ति सततं सहजप्रकाशां
काशीपुरीस्थितिमतीं नतमोक्षलक्ष्मीम् ।
तां संस्मरेत्स्मरहरो धृतशुद्धबुद्धी-
-न्निर्वाणरक्षणविचक्षणपात्रभूतान् ॥ ५ ॥

मातस्तवाङ्घ्रियुगलं विमलं हृदिस्थं
यस्यास्ति तस्य भुवनं सकलं करस्थम् ।
यो नामतेज एति मङ्गलगौरि नित्यं
सिद्ध्यष्टकं न परिमुञ्चति तस्य गेहम् ॥ ६ ॥

त्वं देवि वेदजननी प्रणवस्वरूपा
गायत्र्यसि त्वमसि वै द्विजकामधेनुः ।
त्वं व्याहृतित्रयमिहाऽखिलकर्मसिद्ध्यै
स्वाहास्वधासि सुमनः पितृतृप्तिहेतुः ॥ ७ ॥

गौरि त्वमेव शशिमौलिनि वेधसि त्वं
सावित्र्यसि त्वमसि चक्रिणि चारुलक्ष्मीः ।
काश्यां त्वमस्यमलरूपिणि मोक्षलक्ष्मीः
त्वं मे शरण्यमिह मङ्गलगौरि मातः ॥ ८ ॥

स्तुत्वेति तां स्मरहरार्धशरीरशोभां
श्रीमङ्गलाष्टक महास्तवनेन भानुः ।
देवीं च देवमसकृत्परितः प्रणम्य
तूष्णीं बभूव सविता शिवयोः पुरस्तात् ॥ ९ ॥

इति श्रीस्कान्दपुराणे काशीखण्डे रविकृत श्री मंगला गौरी स्तोत्रं ।

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