अक्षय तृतीया

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अक्षय तृतीया के त्योहार को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया को बहुत ही शुभ और पवित्र तिथि मानी गई है। यह एक ऐसी तिथि है जिसमें किसी शुभ कार्य को बिना पंचांग देखे किया जा सकता है। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया है।

– अक्षय तृतीया पर दान और पूजा करने से इसका फल कई गुना होने के साथ अक्षय भी रहता  है।
– अक्षय तृतीया पर इस वर्ष सूर्य, चंद्रमा और मंगल अपनी उच्च राशि में रहेंगे जबकि शुक्र और शनि स्वयं की राशि में रहने से शुभ संयोग बनेगा।
– अक्षय तृतीया पर सोने और चांदी से बने हुए आभूषण की खरीदारी को शुभ माना जाता है।
– अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है।
– इस दिन दान करने का महत्व काफी होता है। अक्षय तृतीया पर 14 तरह के दान करने से सभी तरह के सुख और संपन्नता की प्राप्ति होती है।

साल 2020 में अक्षय तृतीया की तिथि 25 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से आरंभ हो जाएगी जो 26 अप्रैल के दिन दोपहर 1 बजकर 25 मिनट तक रहेगी। पंचांग के अनुसार 26 अप्रैल को सूर्योदय व्यापिनी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से मनाई जाएगी।

अक्षय तृतीया के दिन सुबह पानी में गंगाचल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित कर उनका विधि-विधान के साथ पूजा करें। भगवान विष्णु और  माता लक्ष्मी संग पूजा करने के साथ तुलसी को दीप जलाकर उनकी भी पूजा करें। पूजा में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की आरती और मंत्रो का उच्चारण कर दान का संकल्प करना चाहिए।

इस मंत्र से करे माँ लक्ष्मी की पूजा 
‘ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्।।’


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