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देवर्षि नारद की गणना की जाती है प्रथम संवाद वाहक के रूप में

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देवर्षि नारद की जयंती आठ मई को मनाई जाती है। नारद जयंती प्रतिवर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धार्मिक आस्था के अनुसार देवर्षि नारद का महत्वपूर्ण स्थान है। देवर्षि नारद को धरती का पहला पत्रकार भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार नारद मुनि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं। नारद जयंती उनका जन्मोत्सव है, इसलिए आज के दिन उनकी आराधना की जाती है। व्रत उपवास रखे जाते हैं। नारदमुनि को इस धरती का पहला पत्रकार भी माना जाता है क्योंकि उन्होंने एक लोक से दूसरे लोक में जाकर संवाद का आदान प्रदान किया था।

शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने नारद जी से सृष्टि के कामों में हिस्सा लेने और विवाह करने के लिए कहा लेकिन नारद जी ने अपने पिता की बात का पालन करने से मना कर दिया, तब क्रोध में ब्रह्मा जी ने देवर्षि नारद को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे डाला।

वही शास्त्रों के मुताबिक राजा दक्ष की पत्नी से दस हजार पुत्रों का जन्म हुआ था लेकिन नारद जी ने सभी दस हजार पुत्रों को मोक्ष की शिक्षा देकर राज पाट से वंचित कर दिया था। इस बात से नाराज होकर राजा दक्ष ने नारद जी को श्राप दे दिया कि वो हमेशा इधर उधर भटकते रहेंगे और एक स्थान पर ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे।

 देवर्षि के पूजन हेतु  सूर्योदय से पहले स्नान करें, व्रत का संकल्प करें, साफ सुथरा वस्त्र पहनकर पूजा अर्चना करें, नारद मुनि को चन्दन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल अर्पित करें। शाम को पूजा करने के बाद भक्त भगवान विष्णु की आरती करें, दान पुण्य का कार्य करें, ब्राह्मणों को भोजन कराये और उन्हें कपडे और पैसे दान करें।


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