Home विविध भ्रष्टाचार हाले तहसील मोहनलाल गंज का नायाब कारनामा

हाले तहसील मोहनलाल गंज का नायाब कारनामा

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अशोक सिंह /कर्मबीर त्रिपाठी

लखनऊ - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन सुनवाई पोर्टल आइजीआरएस को प्रशासनिक अमले ने मनमर्जी का चारा का बना रखा है। ताजा मामला राजधानी की आदर्श तहसील मोहनलालगंज के ग्राम सराय करोरा से जुड़ा है। हलका लेखपाल तथा तहसील के आला हाकिमो से सांठगांठ कर दबंगों ने ग्राम समाज से लेकर हरिजन आबादी तक की जमीन को कब्जा कर निर्माण कार्य शुरू करा दिया।

राजधानी मुख्यालय से सटे लखनऊ सुल्तानपुर मार्ग पर ग्राम सराय करोरा मे गाटा संख्या 225 सुरक्षित भूमि के तौर पर दर्ज है। जिस पर अनुसूचित जाति के सर्वेश कुमार,आशा देवी, चैतू सहित पांच परिवार दशकों से घर बनाकर रह रहे हैं। राजस्व अभिलेखों में यह जमीन सुरक्षित हरिजन आबादी के रूप में दर्ज है। इसी जमीन को लेकर हरिजन आबादी में रह रहे परिवारीजनों तथा बगल के गाटा संख्या 226 के खरीदारों के बीच जमीन अतिक्रमण का विवाद दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है।

  पीड़ित हरिजन आबादी के निवासी सर्वेश कुमार के मुताबिक तत्कालीन लेखपाल अजय कुमार वर्मा ने विपक्षी गण शिव मूर्ति वर्मा आदि से सांठगांठ कर सरकारी जमीन के साथ खेल कर दिया। सर्वेश के मुताबिक लेखपाल ने ग्राम समाज सहित हरिजन आबादी की जमीन को अवैध रूप से कब्जा कराकर तकरीबन 7 फीट की दीवाल आबादी के घरों के ठीक सामने बनवा दिया। जिससे दशको से निवास कर रहे पीड़ित परिवार को आने जाने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। पीड़िता पक्ष के अनुसार दबंगो की मनमानी को लेकर उनके ग्राम प्रधान प्रभात कुमार ने जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा। बावजूद इसके लेखपाल तथा तहसील कर्मियों की मिलीभगत के बूते पर दबंगों ने निर्माण कार्य चालू कर रखा है। महज 12 दिनों के भीतर उपजिलाअधिकारी मोहनलालगंज ने तहसीलदार व थानाप्रभारी गोसाईगंज को 10 दिसंबर 2018 व 22 दिसंबर 2018 को शीघ्र राजस्व व पुलिस टीम भेजकर मौके की पैमाइश तथा आवश्यक कार्रवाई का स्पष्ट आदेश जारी किया था। जिसे तत्कालीन लेखपाल तथा कानूनगो ने धता बताते हुए दबंगों से निर्माण कार्य कराने को कह दिया। पीड़ित पक्ष के अनुसार मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने पर आरोपी लेखपाल अजय कुमार वर्मा को ही जांचकर्ता बनाकर तहसील प्रशासन ने मुख्यमंत्री की मंशा को ही ठेंगा दिखा दिया।

उपलब्ध दस्तावेजों में दिलचस्प तथ्य है कि आरोपी लेखपाल ने जांचकर्ता के तौर पर अपनी आख्या में गाटा संख्या 226 का क्षेत्रफल मौके पर अधिक होने की बात लिखी है।वही दो अलग अलग आख्या रिपोर्ट में लेखपाल ने दबंगों से संबंधित गाटा संख्या 226 पर नीव डालने का जिक्र किया है। मजेदार बात यह है कि दोनों ही रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान जांचकर्ता लेखपाल ने एक मे 15 वर्ष तथा दूसरे में 20 वर्ष से नीव मौजूद होने का उल्लेख किया है। वहीं दूसरी तरफ सतपर्तिशत आदर्श तहसील होने का दम भरते एसडीएम मोहनलालगंज महज सरकारी आदेश का फरमान जारी कर अपनी जिम्मेदारियों का बखान करने तक ही सीमित है।

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