Home विविध लखनऊ-उ. प्र. रंग मंच एवं कार्यक्रम उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी में आजादी का अमृत महोत्सव संगीत कार्यक्रम आयोजित

उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी में आजादी का अमृत महोत्सव संगीत कार्यक्रम आयोजित

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लखनऊ, 26 जुलाई। कारगिल विजय दिवस का उल्लास आज संगीत की स्वर लहरियों और काव्य सरिता के तौर पर उभरकर आया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अंतर्गत अकादमी परिसर गोमतीनगर की वाल्मीकि रंगषाला में आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव ऑनललाइन कार्यक्रम में लखनऊ के युवा षास्त्रीय-उपषास्त्रीय गायक प्रवीण ने सुर सजाये तो युवा सारंगी वादक जीषान अब्बास ने रागों को सुनाकर जोष जगाया, जबकि वरिष्ठ कवयित्री ज्योतिकिरन सिन्हा ने काव्यमय रचनाओं से देषभक्ति की भावना जाग्रत करने के संग षहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। अकादमी फेसबुक पेज पर जीवंत कार्यक्रम को बड़ी तादाद में लोगों ने देखा।
कार्यक्रम में कलाकारों और दर्षकों-श्रोताओं का स्वागत करते हुए अकादमी के सचिव तरुणराज ने कारगिल षहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किये और कहा कि शृंखला के कार्यक्रमों की भावना यह है कि देष पर न्योछावर होने वाले ऐसे ही जवानों की बदौलत हम सुरक्षित तरह से रह पा रहे हैं। हम आजादी अक्षुण्ण रखने वाले अपने सेनानियों, क्रान्तिकारियों और कला के जरिये देषसेवा करने वाले व्यक्तित्वों का स्मरण ऐसे कार्यक्रमों के जरिये नित्यप्रति करना चाहिए।
पिता पं.रामकृपाल मिश्र व चाचा पं.रामप्रकाष मिश्र के षिष्य प्रवीण कष्यप ने समापन देषभक्ति गीत- आज गाओ षहीदों का गान.... से किया तो कार्यक्रम का आगाज सावन के पहले दिन के मौसम के अनुरूप राग मेघ की रचनाओं से किया। पहले मध्यलय एक ताल में - कजरा कारे-कारे.... और फिर द्रुत तीन ताल में आयो गरजत बादरवा.... सुनायी। उनके साथ तबले पर कुषल वादक रविनाथ मिश्र, हारमोनियम पर पीयूष मिश्र और स्वर मण्डल पर षैलेष भारती ने बढ़िया साथ दिया। दूसरे कलाकार के तौर पर युवा सारंगी वादक जीषान अब्बास ने मधुर राग चारुकेषी छेड़ा तो आगे कारगिल षहीदों को नमन करते हुए प्रसिद्ध धुन- वैष्णव जन तो तैणे कहिए.... सुनायी। 
 वरिष्ठ कवयित्री ज्योति किरन सिन्हा ने आहुति देने वाले वीर जवानों को याद करते हुए देषभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं के बीच गीत- दुनिया में चमकता इक तार ये मेरा वतन सबसे न्यारा...... पढ़ा। उन्होंने कहा- ये पर्वत प्रहरी से जो खड़े दुष्मन की नजर न तुझपे पड़े, पैरों में मचलता महासागर कुदरत के हैं उपकार बड़े। आगे उन्होंने कहा- तू विरासत है उन वीरों की दुष्मन पे उठी षमषीरों की, आजादी की खातिर जो मिटे, जो षहीद हुए उन दिलेरों की। 
अंत में कार्यक्रम का संचालन कर रही अकादमी की संगीत सर्वेक्षक रेनू श्रीवास्तव ने सभी कलाकारों व कार्यक्रम में षामिल दर्षकों-श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के तकनीकी पक्ष में पवन तिवारी का सहयोग रहा।

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