Home हलचल सियासत नाम-निशान की लड़ाई में कहां मात गए उद्धव ठाकरे, इस आधार पर चुनाव आयोग ने लिया फैसला

नाम-निशान की लड़ाई में कहां मात गए उद्धव ठाकरे, इस आधार पर चुनाव आयोग ने लिया फैसला

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चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे गुटे को शिवसेना नाम और तीर-धनुष का निशान एलॉट कर दिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को अब असली शिवसेना के तौर पर जाना जाएगा।

गौरतलब है कि 40 विधायकों के साथ शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार से बगावत करके भाजपा को समर्थन कर दिया था। इसके बाद से महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं। वहीं, असली शिवसेना को लेकर उद्धव गुट और एकनाथ शिंदे गुट के बीच लड़ाई चल रही थी। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने फैसला सुनाते हुए शिंदे गुट को असली शिवसेना बता दिया। आइए जानते हैं आखिर चुनाव आयोग ने इतना बड़ा फैसला किस आधार पर सुनाया।

पार्टी संविधान पर नजर
चुनाव आयोग ने शिवसेना के 2018 के संविधान के आधार पर मेजॉरिटी का फैसला लिया। चुनाव आयोग ने कहा कि हालांकि कोई कानूनी समीकरण नहीं है। लेकिन हम पार्टी की संगठन शाखा में दोनों समूहों को मिल रहे समर्थन की जांच करके शुरुआत करते हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि एक टेस्ट के लिए, आयोग द्वारा पहले एक फिल्टर का उपयोग किया गया है, जिससे तय किया जा सके कि पार्टी संगठन किस स्तर पर चलना चाहिए। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा कि 2018 के संविधान के आधार पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया। इसकी वजह यह रही कि पार्टी का 2018 का संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है।

सांसद, विधायक और एमएलसी संख्या के आधार पर
इसके बाद चुनाव आयोग ने दोनों गुटों में मौजूद सांसदों, विधायकों और एमएलसी की संख्या पर नजर डाली। याचिकाकर्ता एकनाथ शिंदे ने दावा किया था कि उनके 55 में से 40 विधायक, 19 में से 13 सांसद उनके साथ हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे गुट ने बताया था कि 55 में 15 विधायक, 19 में से 7 सांसद लोकसभा और राज्यसभा में तीन में से तीन सांसद उनके साथ हैं।

वोटों के आधार पर फैसला
इसके बाद चुनाव आयोग ने यह देखा कि बीते विधानसभा चुनाव में याचिकाकर्ता शिंदे गुट के 40 विधायकों ने 47,82440 वोटों में से 36,57327 वोट हासिल किए थे। वहीं, उद्धव गुट के 15 विधायकों ने मात्र 47,82440 वोट ही हासिल किए थे। चुनाव आयोग ने अपने फैसले में कहा, ‘याचिकाकर्ता के गुट निश्चित तौर पर संख्या बल में आगे है। ’ इसके अलावा चुनाव आयोग ने पार्टी के संविधान में लोकतांत्रिक कमी की बात भी कही है।

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