Home हलचल सियासत दिल्ली से जयपुर का सफर महज आधे घंटे में, समझें हाइपरलूप टेक्नोलॉजी से कैसे संभव है यह

दिल्ली से जयपुर का सफर महज आधे घंटे में, समझें हाइपरलूप टेक्नोलॉजी से कैसे संभव है यह

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दिल्ली से जयपुर का सफर आधे घंटे में तय करना जल्द ही संभव हो सकता है। जी हां, जर्मनी में इस तरह की तकनीक पर काफी समय से काम चल रहा है। डॉयचे वेले की रिपोर्ट के मुताबिक, हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के जरिए आवाज की रफ्तार से सफर किया जा सकता है।

टेक्निकल यूनिवर्सिटी म्यूनिख के रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत इस पर शोध जारी है, जिसका मसकद अल्ट्रा हाई स्पीड ट्रांसपोर्टेशन को साकार करना है।

इसे लेकर टीयूएम के हाइपरलूप डेमोंसट्रेटर का निर्माण किया जा रहा है। यह टेस्ट सेगमेंट 24 मीटर लंबा है जो इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसमें एक बेहद मजबूत ट्यूब और चुंबकीय गुण वाला स्क्वॉड भी शामिल है। टेक्निकल यूनिवर्सिटी म्यूनिख हाइपरलूप का दावा है कि फिलहाल इसकी रफ्तार 400 किमी/घंटा हो सकती है। इसके लिए खासतौर से 200 से 1500 किलोमीटर लंबे रास्ते तैयार किए जाएंगे।

भारी-भरकम सामानों को ढोना भी होगा संभव
खास बात यह है कि ये जमीन के ऊपर या फिर नीचे भी चल सकती है। इस तकनीक का इस्तेमाल तो फिलहाल यात्रियों की आवाजाही के लिए होगा, मगर आगे इसका विस्तार किया जाएगा। हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के जरिए भारी-भरकम सामानों को ढोना भी संभव हो सकेगा। यह तकनीक कब तक पूरी तरह से सफल होगी, यह कह पाना तो अभी मुमकिन नहीं हैं। हालांकि, इस पर काम करने वाले एक्सपर्ट्स इसे लेकर काफी आशांवित हैं।

भारत ने हाइपरलूप टेक्नोलॉजी में दिखाई रुची
2017 में भारत के तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हाइपरलूप प्रौद्योगिकी में अपनी रुचि व्यक्त करते हुए कहा था कि देश इस परियोजना के लिए उत्सुक है। तब से मंत्रालय और अमेरिका-आधारित हाइपरलूप वन के बीच प्रस्तावित परियोजना पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला। मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि कम ऊर्जा की आवश्यकता और भारत को कार्बन तटस्थ बनाने में यह तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हाइपरलूप परिवहन माध्यम भारतीय रेलवे के लिए काफी आकर्षक हो जाता है।

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