गुजरात में विधानसभा चुनाव का बिगुल 1 अक्तूबर को अमित शाह की गौरव यात्रा के साथ फूंका जा चुका है। 2012 से 2014 तक गुजरात में लड़ा गया हर एक चुनाव नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया। इस दौरान राज्य में प्रचार की जिम्मेदारी पाने वालों में शीर्ष नेतृत्व से लाल कृष्ण अडवानी की भी भूमिका रही लेकिन मौजूदा राजनीति में जारी घटनाक्रम से साफ संकेत मिल रहा है कि पार्टी के अंदर लाल कृष्ण अडवानी को जबरन रिटायर करने की कवायद हो रही है।
2014 में वह राज्य की गांधीनगर लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर मौजूदा लोकसभा में सदस्य बने। इस सीट से अडवानी लगातार 24 साल से लोकसभा पहुंच रहे हैं लेकिन अब न तो लोकसभा की इस सीट को और न ही गुजरात की राजनीति को लाल कृष्ण अडवानी की जरूरत है। वह भी तब जब हकीकत है कि राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा को लोकसभा की 2 सीटों से सत्ता तक पहुंचाने का श्रेय लाल कृष्ण अडवानी की 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक की गई रथ यात्रा को दिया जाता है।