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शराब की दुकाने क्या खुली, मानो पीने वालों की बाछे खिल गई हो

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" विशेष संवाददाता "

 लखनऊ--- शराब की दुकाने क्या खुली मानो पीने वालों की बाछे खिल गई। घड़ी की सुइयों पर टकटकी लगाए दस बजने  का इंतजार कर रहे पीने वाले लोगो में इस दौरान न कोरोना का डर दिखा और  न ही लॉकडाउन की चर्चाएं। हम बात कर रहे है लॉकडाउन के इस दौर में आज यानी कि सोमवार से खुलने वाली शराब की दुकानों के बाहर जमा भीड़ की।
बताते चले कि शराब की दुकानों को खोले जाने के मुख्य सचिव की तरफ से आदेश दिए गए थे। उनके द्वारा 4 मई सुबह 10 बजे दुकानों को खोले जाने की हिदायत दी गई थी। साथ ही साथ इस बात को भी आदेशित किया गया था कि दुकानों के खुलने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो। सभी नियम कायदे कानून को पूरी तरह से दुकानों पर अप्लाई कराया जाए। इसका जिम्मा लोकल पुलिस पर है।
वही राजधानी के तमाम क्षेत्रो में शराब लेने के चक्कर में लोग सुबह से ही भीड़ लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग को तोड़ते भी नजर आए। जिसके बाद मौके पर स्थानीय पुलिस ने पहुंच कर लोगो को सोशल डिस्टेंसिंग पालन की हिदायत दी। आज सुबह जैसे ही 10 बजे शराब की दुकाने खुुली,वैसे ही लोगों की लम्बी-लम्बी लाइनें लखनऊ में शराब की दुकानों के बाहर देखी गईं और जिस तरह लोग घंटों पहले से ही लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। वह कम आश्चर्य चकित करने वाला नजारा नही रहा । इस दौरान कुछ लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि कोरोना के संक्रमण काल में शराब की दुकानें खुलने का सबसे ज्यादा इंतजार था।उन लोगो ने कहा कि आज मास्क लगाकर हाथों को सेनेटाइज़ कर दुकान पर शराब लेने पहुंचे हैं।
वहो शराब दुकानदारों ने भी दुकान खुलने से पहले पूरी तरह से चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखी थी। इस दौरान लोकल पुलिस भी मौके पर मौजूद रही.और उनके द्वारा हर तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की कोशिश की जा रही थी।
वही जब राह चलते कुछ लोगो का इस पर नजरिया लिया गया तो वह इससे नाराज दिखे । उन लोगो ने कहा कि सरकार को कोरोना के बढ़ते संंक्रमण को देेखते हुए इस नाजुक समय में दुकानों को नहीं खुलने देना चाहिए था,। इससे न सिर्फ संक्रमण बढ़ेगा बल्कि लोगों के घरों में भी लड़ाईया व झगड़े भी बढ़ेंगे।

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